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अंक 231 : 24 सितम्बर, 2023
नजरिया: एक विशाल मशीनरी का छोटा सा पुर्जा है ‘पत्रकार’ या ‘एंकर’
नए विपक्षी गठबंधन ने गोदी मीडिया के चैदह एंकरों के वहिष्कार का फरमान जारी किया है. वे उनके कार्यक्रमों में नहीं जायेंगे. जिन एंकरों के वहिष्कार का निर्णय लिया गया है, उन पर आरोप है कि विगत कई वर्षों से वे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए सतत विष वमन कर रहे हैं ...
मुद्दा: 27 वर्ष लगे महिलाओं को आरक्षण हासिल करने में, लागू होगा 10 वर्ष बाद
मोदी जी कहते हैं कि महिला आरक्षण बिल संसद में पास हो जाने पर महिलायें शक्तिशाली बन गई हैं. उनमें नई उर्जा का संचार हो गया है. महिला आरक्षण कानून बन जाने के बाद भी उसका लाभ महिलाओं को अभी नहीं मिलना है, तो वे शक्तिशाली कैसे बन गई हैं?
समाज: डायन प्रताड़ना एक सोची समझी चाल
20 अगस्त को बालूमाथ थाना क्षेत्र में. निखा उराँव (शिवराज राव की पत्नी) को ग्राम सभा में ‘डायन’ घोषित कर सामाजिक बहिष्कार किया गया. उसकी पिटाई हुई, कारण यह कहा गया कि वह दिनेश्वर के सात माह के बच्चे का खा गई है.
संस्कृति: करम पर्व का संदेश: प्रकृति से संसर्ग और परस्पर सहयोग
करमा पर्व एक प्राकृतिक पर्व है जो कि झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, तथा असम राज्य में मनाया जाता है. यहां के आदिवासी तथा मूलवासी लोग इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. कर्मा पर्व भाद्रपद के शुक्लपक्ष के एकादशी को मनाया जाता है.
नजरिया: सैटेलाइट सिस्टम ऑफ अंडरस्टैंडिंग, यानी ‘चमत्कार को नमस्कार’ करने का ट्रेंड
दक्षिण भारत के स्पेस सेंटर के डबल स्क्रीन पर दिखा - इसरो का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरने को था। धरा से अंग्रेजी में एक उत्तेजना गगन में गूँज रही थी - “बस! दिल थाम कर बैठो। इतिहास बनने को है - कुछ ही सेकंड का फासला है!”
मुद्दा: उत्तर-दक्षिण की दरार बढ़ सकती है इस ‘परिसीमन’ से
परिसीमन एक संविधानसम्मत नियमित प्रक्रिया है. जरूरी भी. लेकिन इससे जुड़े एक पहलू पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका दूरगामी नकारात्मक असर पड़ सकता है. उत्तर बनाम दक्षिण का मुद्दा तो बन ही सकता है, इनके बीच पहले से बनी हुई दरार कुछ और चैड़ी हो सकती है.
अंक 230 : 11 सितम्बर, 2023
नजरिया: शम्बूक बध को फिर से याद करने की जरूरत
सनातन धर्म एक बार फिर चर्चा में है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को वर्ण व्यवस्था का पोषक और उसके उन्मूलन की बात कही है. उत्तर भारत के कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं और भाजपा के लिए यह एक मौका है ...
इतिहास: एक थे कर्पूरी ठाकुर - समापन किश्त
अपनी इस समझ के प्रति कर्पूरी ठाकुर में कोई संदेह नहीं था कि गैरकांग्रेसवाद समाजवाद का विकल्प नहीं है। वह कांग्रेसवाद के सिक्के का ही दूसरा पहलू है - ‘हेड’ और ‘टेल’ की तरह। एक पहलू दूसरे को पराजित करेगा, लेकिन मारेगा नहीं ...
मुद्दा: अब मैं राशन की कतारों में नजर आता हूं,
अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूं
भारत में कई परिवार गरीबी रेखा से निचे जीवन यापन करते है. ऐसे परिवारों के लिए भारत सरकार बेहद ही कम दामों पर अनाज और राशन का सामान उपलब्ध करवाती है. सरकार ऐसा इसलिए करती है ताकि महंगाई के इस जमाने में गरीब परिवार के लोग भी अपना जीवन यापन आसानी से कर पाएं.
साहित्य: स्त्री-मन के अंदर झांकती कहानियां
इस कहानी संग्रह ‘निम्मो बनाम निम्मो बी’ की कहानियों के सभी किरदार हमारे आसपास के लगते हैं. ऐसे या इनसे मिलते जुलते लोग हमारे परिवार, मुहल्ले या जान-पहचान के हो सकते हैं. संवेदनशील मन और सक्षम कलम हो, तो कोई भी उन पर कहानी लिख सकता है.
समाज: घर का ‘मालिक’ पुरुष ही क्यों माना जाता है?
बात पिछले जनगणना के समय की है। एक दिन दोपहर का समय था कि अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। खोलने पर देखा जनगणना वाले आये हैं। मैंने सहजता से कहा - पूछिए ? उन लोगों ने उतनी ही तत्परता से आग्रह किया - ‘मालिक को बुलाइये न।