Toggle navigation
सामाजिक सरोकार का सामूहिक उपक्रम
नजरिया
समाज
मुद्दा
रपट
कविता
साहित्य
संस्कृति
साक्षात्कार
पत्रकारिता की पाठशाला
इतिहास
वीडियो
बहस
स्मृति शेष
यात्रा संस्मरण
फिल्म
राजनीति
अंक 236 : 28 नवम्बर, 2023
नजरिया: असुर महिलाओं के भावपूर्ण गीत
गैर आदिवासी भारतीय समाज तो असुर के रूप में महिषासुर को ही जानता है जिसका अनुष्ठान पूर्वक दुर्गा बध करती हैं, लेकिन हमारे लिए असुर आदिवासी बिरादरी का एक सदस्य है. और 26 नवंबर को स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित जयपाल-जुलियस- हन्ना पुरस्कार वितरण समारोह में असुर समाज की दो महिलाओं ने भावपूर्ण गीत सुनाये.
इतिहास: इजराईल-फिलिस्तीन जंग की जड़े
इजराइल-यहूदी बनाम फिलिस्तीन-इसलाम के टकराव का इतिहास तो कुछ दशकों का है. वह भी इंग्लैंड और उसके साथी देशों द्वारा थोपा हुआ या खड़ा किया गया. आज तमाम ईसाई बहुल गोरी चमड़ी वाले देश (अपवादों को छोड़ कर) इजराइल या यहूदियों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.
मुद्दा: युद्ध-उन्माद आखिर है क्या?
देश-दुनिया में ऐसी कई शक्तियां हैं जो सचेतन रुप से और जानबूझ कर युद्ध की ओर ले जाती हैं। उनके प्रति लगभग हर देश के आम लोग आम तौर पर उदासीन या गाफिल नजर आते हैं। लेकिन जनसाधारण की कुछ ऐसी अव्यक्त भावनाएं होती हैं, जो अधिकांश सभ्य देशों में ‘नेताओं’ के एक इशारे पर युद्ध-उन्माद के रूप में फूट पड़ने को हमेशा तैयार रहती हैं।
साहित्य: ससनः बिरसा के बनने की कहानी, अटूट संतोष की जुबानी
अटूट संतोष की लिखी कहानी ससन ( आजादी के अज्ञात मतवाले मुंडा आदिवासियों की कहानी ) पढ़ने का मौका मिला. युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने प्राइम मिनिस्टर्स स्कीम फार मेंटरिंग यंग आर्थस नामक योजना चलाई इसके अंतर्गत युवा नवलेखकों की रचनाएँ मंगवाई गईं.
अंक 235 : 05 नवम्बर, 2023
नजरिया: अर्थ व्यवस्था मजबूत तो भारत में भूख और बदहाली क्यों!
हमारे लिय यह गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए कि भारत यदि अर्थ व्यवस्था के पांचवें पायदान पर पहुंच गया है और जीडीपी में निरंतर सुधार हो रहा है तो फिर देश में भूख और बदहाली क्यो? ग्लोबल हंगर सूची में हमारा देश 111 स्थान पर क्यों?
मुद्दा: दलितों के हित में
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एवं रविंद्र भट्ट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया. उन्होंने कहा कि सीवरेज टैंक साफ करने के क्रम में मौत होने पर परिवार को 10-10 लाख, दिव्यांगों को 20-20 लाख एवं बीमार व्यक्तियों को 10 लाख मुआवजा दिया जाए.
इतिहास: कश्मीर फाइल्स - जेपी स्क्रिप्ट (पार्ट-2)
जेपी के मित्र शेख अब्दुल्ला कारागार की 11 साल लंबी सजा से हाल में मुक्त हुए थे। शेख अब्दुल्ला ने कश्मीर के सवाल पर अपने विचारों को प्रकट करना शुरू ही किया था कि उनके विचारों पर जिम्मेदार लोगों के द्वारा नाराजगी प्रकट की जाने लगी थी।
समाज: ‘शिक्षक’ बनना चाहती थी, बन गयी ‘पदाधिकारी’
मुझे बचपन से स्कूल टीचर बनने का बहुत मन था। उस समय मैं बमुश्किल 7 या 8 साल की थी। यह वो उम्र थी जब मैं स्त्रियों के लिए स्कूल टीचर से अलग कोई दूसरा काम भी होता है, जानती ही नहीं थी। तो घर में मैं टीचर -टीचर खेला करती थी।