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अंक 220 : 05 जून, 2023
नजरिया: आदिवासियों के लिए गडकरी के घड़ियाली आंसू
संघ परिवार और भाजपा के शीर्ष नेता नितीन गडकरी ने ट्विटर पर आदिवासी समाज की दारुण अवस्था के बारे में लिखा है. पहली प्रतिक्रिया तो यही होती है कि उनकी स्थिति में सुधार करने के लिए केंद्र सरकार कर क्या रही है? कम से कम पिछले आठ दस वर्षों से तो उन्हीं का शासन देश में है.
समाज: काजल की कोठरी से गुजरने का थ्रिल!
जहां लोकतंत्र ‘प्रैक्टिस’ में है वहां प्रभुवर्ग लोगों को ‘प्रैक्टिकल’ होने की नसीहत देता है, वहां ‘निकम्मापन’ और ‘क्रियाशीलता’ दोनों एक ही ‘सिक्के’ के दो पहलू हो जाते हैं, जिसे ‘भ्रष्टाचार’ कहा जाता है। आम तौर सब कहते हैं कि भ्रष्टाचार खोटा सिक्का है, ...
इतिहास: 5 जून के संकल्प अभी अधूरे हैं
5 जून 1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने व्यवस्था में अमूल परिवर्तन के लिए ‘सम्पूर्ण क्रांति’ की घोषणा की थी. आज भले ही लोगों के स्मरण में न हो, पर जो पीढ़ी उस दौर से गुजरी है, उसके सामने वह मंजर आज भी ताजा है.
मुद्दा: यह ‘राष्ट्रीय शर्म’ का विषय है
23 अप्रैल 2023 से राष्ट्रीय गौरव बढ़ाने वाली हमारी महिला पहलवान, रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन कर रहीं हैं. इससे पहले जनवरी में भी उन्होंने अपने इन्हीं मांगो को लेकर जंतर-मंतर पर धरना दिया था.
मुद्दा: चिकित्सा के नाम पर आदिवासियों की बर्बर लूट
हमारे समाज मे सभी आदिवासियों के बारे जानने के लिए उत्साहित रहते हैं. उसकी जीवन शैली को किताबांे में छापते हैं. देश विदेश में झारखंड में आदिवासियों की पहचान ही अलग है. लेकिन वे यह ठीक से कभी नहीं जानते या जानना चाहते हैं कि उन्हें चिकित्सा के नाम पर किस बेरहमी से उन्हें लूटा जा रहा है.
अंक 219 : 27 मई, 2023
नजरिया: आदिवासी संघर्ष और नक्सली संघर्ष के फर्क को समझे
बहुधा यह भ्रम बनाया जाता है कि नक्सली आंदोलन, जो वर्तमान में माओवादी संघर्ष के रूप में ही बचा है, आदिवासी संघर्ष ही है. इसका भीषण खमियाजा आदिवासी समाज और आदिवासी आंदोलनों को भुगतना पड़ा है.
मुद्दा: नये संसद भवन का उद्घाटन पक्ष और विपक्ष के संघर्ष का अखाड़ा बना
नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा बनकर तैयार है. 28 मई को नरेन्द्र मोंदी इसका उद्घाटन करेगें. इस कार्यक्रम को लेकर बीजेपी के मंत्रियों से लेकर साधारण कार्यकर्ताओं में उत्साह है, क्योंकि वे इसे बीजेपी तथा नरेन्द्र मोदी की बहुत बडी उपलब्धि मानते हैं.
यात्रा: सड़क से चैड़े फुटपाथों वाला शहर प्राग
मेरी भारत की ट्रेवेल अजेंट कणिका ने मुझे सूचना दिया था कि मेरी गाइड आने वाली है जो मुझे प्राग के बारे में जानकारी देगी और शहर दिखलायेगी. मैं होटल से बाहर निकल कर उसका इंतजार कर रही थी, तभी एक 15-16 साल की लड़की मेरी तरफ आती दिखी.
समाज: बदलाव नहीं, सिर्फ बदलाव की रफ्तार देखिए!
देश के पढ़े-लिखे समाजों में जो लोग नये प्रभाव और नये विचार ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं, उनको भी यह महसूस होने लगा है कि अब, खास कर ‘महामारी’ (कोविड-19) के बाद से - उनकी पुरानी आशाएं और पुरानी आस्थाएं बेतरह और भयानक रूप से हिलने लगी हैं।
मुद्दा: आदिवासियों की जमीन के साथ पानी की भी लूट
मौसम का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे सभी लोग परेशान हैं. तापमान 40 डिग्री से पार हो चली है. भीषण गर्मी में पानी की किल्लत से लोग काफी परेशान है. आदिवासी समाज में एक समय था जब कुंआ में पानी घटता ही नही था, ...