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अंक 207 : 22 जनवरी, 2023
नजरिया: मानव तस्करी बदस्तूर जारी है इस सरकार में भी
मानव तस्करी, खास कर आदिवासी लड़कियों की तस्करी बदस्तूर इस सरकार में भी जारी है. जरूरी नहीं कि हर बार उनका शारीरिक शोषण ही होता है, लेकिन उनके श्रम का अकूत शोषण तो होता ही है.
यात्रा: रईसों के लिए शुरु हुआ जल मार्ग से यात्रा का रोमांच
जॉन मार्शल, जिसने ‘नोट्स एंड ओब्जार्वेशन इन बंगाल- 1668-1672’ नामक ग्रंथ की रचना की थी, ने 1670 में बिहार में भागलपुर जिले के सुल्तानगंज की गंगा यात्रा की थी.
मुद्दा: मनरेगा की बुरी गत, बजट से उम्मीद
2000 के बाद कृषि का धंधा लाभकारी नहीं रहा. खेती के क्षेत्र में बड़े पैमान पर मशीनों के प्रयोग से मजदूरों को काम मिलना कठिन हो गया. नतीजतन ग्रामीण मजदूरों व छोटे किसान के परिवार के लोगों को अपनी रोजी रोटी के जुगाड़ में शहरों में जाकर अपने श्रम को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा.
इतिहास: जेपी ने संध को ‘हिंदू राष्ट्र’ की अवधारणा त्यागने का सुझाव दिया था
जेपी ने अगस्त, 1977 में (सामयिक वार्ताय प्रधान सम्पादक - किशन पटनायक, 13 सितम्बर, 1977 के अंक में प्रकाशित इंटरव्यू) पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सार्वजनिक सलाह दी कि बदली हुई परिस्थितियों को देखते हुए उसे अपना विसर्जन करते हुए ‘जनता पार्टी’ के विविध संगठनों को अपनाना चाहिए...
समाज: अपनी ही जमीन पर मजदूरी करते आदिवासी
आदिवासियों के पेशे में लगातार बदलाव आ रहा है. वे खेती-बारी, जंगल, जमीन, बैल, बकरी, गाय, पालने से धीरे-धीरे वंचित हो रहे हैं. जमीन की बिक्री थम नही रही. गैर-आदिवासियों का आगमन तेजी से हो रहा है.
अंक 206 : 16 जनवरी, 2023
नजरिया: सरकार झामुमो की हो या भाजपा की, आदिवासी जमीन की लूट बंद नहीं होने वाली
इस तथ्य को समझना होगा कि सरकार भाजपा की हो या झामुमो की, आदिवासी जमीन की लूट बंद नहीं होने वाली. भाजपा के लंबे शासन के दौरान जो अवैध कालोनियां बनी, बिना नक्शे के आदिवासी इलाकों में जो बहिरागतों के घर बने, वर्तमान सरकार उन तमाम घरों को नियमित करने जा रही है.
संस्कृति: जतरा, यानि आनंद की संस्कृति की सामूहिक अभिव्यक्ति
हथिया गोंदा में आदिवासी समाज ने पारंपरिक संास्कृतिक जतरा 14 जनवरी, मकर संक्रांति के शुभ दिन पर उत्साह पूर्वक आयोजित किया जिसमे बच्चे, युवा, बूढ़े सभी औरत मर्दौं ने भाग लिया. नियमानुसार पूजा से लेकर नृत्य किया.
समाज: देश के 21 अमीरों के पास देश की कुल संपत्ति का 60 फीसदी
कहा जा रहा है कि कुछ ही वर्षों में भारतीय अर्थ व्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था हो जायेगी. लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है कि इसी अर्थ व्यवस्था में धनी और गरीब के बीच की खाई चैड़ी होती जा रही है.
मुद्दा: ताकि बेमानी होकर न रह जाय नया वनाधिकार कानून
पिछले महीने मैं बाँका जिले के बांका, चाँदन कटोरिया बेलहर प्रखंडों के फॉरेस्ट गांव में एक सप्ताह की पदयात्रा में रहा. यह इलाका पटना से 300 किमी दूर है. मैं 2014 से यहां आता रहा हूं.