औरत की कोख से निकलते हो

और व्याकुल रहते हो यह जानने को

कि औरत की देह में क्या क्या छिपा हुआ है।

और यही जानने के लिए तुम्हारे भीतर का नरभक्षी

घुस जाता है उसकी देह में

चीर डालता है, उसकी आंतें अंतड़ियाँ

सब नोच डालता है।

जिसकी मीठी बोली सुनकर आंख खोलते हो

काट डालते हो तुम वही जुबान

कहाँ छिपा बैठा है तुम्हारे भीतर यह नरभक्षी

तुम्हारा ये चेहरा

जिसे देखा है फूलन ने, आसिफा ने, मनीषा और जगम्बा ने

तुम्हारा यही नरभक्षी चबाएगा

तुम्हारी अपनी देह को भी एक दिन

देखना।