सुनो नववर्ष !

एक-दूसरे के साथ की

एक-दूसरे की आस की

एक-दूसरे की सांस की

एक-दूसरे के विश्वास की

एक-दूसरे के हाथ की

हंसी-उल्लास, खिलखिलाहट और पुचकार की

जैसी जरूरत आज है

वैसी कब थी

आपको याद है ?

आपको याद है कि हमें

सच में, सच्चे नये साल की ऐसी जरूरत कब थी ?

मुझे याद है कि कोई 18 लाख आदमियों को खोने

करोड़ों की नींद गंवाने

करोड़ो को बेसहारा और बेगैरत करने के बाद

जो साल गया है

उसने ही सच्चे व अच्छे साल की यह भूख जगाई है

लेकिन तुम, हम और वे न भूलें कभी कि नया कुछ

उसे ही मिलता है और वही नया गढ़ता है कुछ

जो खुद को नया बनाता है

और नया पचाता है।

सुनो

2021

क्या तुममें नया बनने और बनाने की ऐसी कूवत है?

बताना -

हम तुम्हारे आंगन में अपने भरोसे और विश्वास का

एक बीज धर रहे हैं