रो रही है वसुंधरा चीख चीख कर,

जागो हे गोंडवाना के वीरों।

घेर लिया आज शत्रुओं नें,

अब तो जागो गोंडवाना के वीरों।

करो उलगुलान है वक्त की मांग,

छोड सभी मोह गोंडवाना के वीरों।

आज क्यों भटक गये राहों से,

यह माटी तुम्हारी, यह वन तुम्हारा

क्यों अनदेखी कर रहे यह बुंद बुंद जल तुम्हारा।

याद करो बिरसा ने उलगुलान की आग लगाई थी।

फिर क्यों भूल गये वीरनारायण को जिसने प्राण गंवाई थी।

गुंडाधूर को याद करो जिसे छल से मारा।

बस्तर की जीवन याद करो जो है प्राणों से प्यारा।

आज शोषित हो रहे आदिवासी, हे गोंडवाना के वीरों।

अब तो होश संभाल लो हे गोंडवाना के वीरों।

अब वक्त नही सोने का, हाथों में हथियार लो

रण भुमि में कुद कर आज तुम दहाड दो।

याद रहे तुम वंशज हो रानी दुर्गावती महान के,

लडकर जीतो, मरकर जीतो भय न हो प्राण के

हर जगह फहरा दो परचम अब गोंडवाना का

आज सुन लो कहना तुम इस बिरसा के दिवाने का।

जीत सुनिश्चित है तुम्हारी अब यह ठान लो

जागे नहीं अब तो गुलामी करोगे जान लो

जीना सीख लो अपने लिए हे गोंडवाना के वीरों

नाम अमर हो जाएगा तुम्हारा, हे गोंडवाना के वीरों