विशाल नदी के पाट में
पानी वेग से गिर रहा है
मची है तालाब की मछलियों में खलबली..
शाम ढल रही है
बम बारुद की आवाज से
देश के दुश्मन थरथरा रहे है
बंदुक की गरज
और लाशों की ढ़ेर
बहती खून की धार
जब तक रहेगा जिस्म में खून
हम डरेंगे नहीं
भारत की स्वाधीनता के लिए
लड़ते रहेंगे..