अगर यह कहूंकि आज वाहिनी के लोग ही जेपी के लोग हैं, तो गलत नहीं होगा. तब हमारे सामने सवाल है कि जब वाहिनी के लोग नहीं होंगे, तो जेपी के लोग कौन होंगे! हममे से अधिकतर 60 पार कर चुके हैं, तब हम क्या करें कि हमारे बाद भी जेपी के लोग रहें, क्योंकि जेपी के लोग निर्दलीयता, लोकतत्र, लोकशक्ति, सामाजिक सद्भाव, समता और सत्ता की निरंकुशताध् मनमानी के खिलाफ राजनीतिक हसतक्षेपध् भागिदारी के महत्व को समझते हैं और अनुभव भी रखते हैं.

हमारी खूबियां भी हैं और कमिया भी. हमारी दो प्रमुख कमियों में हमे कमजोर किया है. अलग-अलग तरीके से परिवर्तन के काम में लगे साथियों के बीच हम जुड़ाव और सम्मान के महत्व को नहीं समझ सके. हमने बात गांधी की की और जेपी को देखा सुना. लेकिन आजादी और 74 के संघर्ष में अलग-अलग तरह की विधाओंध् भूमिकाओं ध्योगदानों का सहकार समन्वय की जो नीतिध्रणनीति थी, उसे हम भूल गये. हमारी दूसरी कमी- व्यक्तिगत रुचि के काम में हम इतने मगन हुए कि हमारी सामूहिकक शक्ति की प्रस्तुति ही नहीं हो पायी. और कोई वैचारिक धाराध्उपधारा बिना सामूहिक शक्ति की प्रस्तुति के अपनी पहचान नहीं बना सकती.

हमारे आज की चुनौतियों के मुकाबले के लिए अपनी उपरयुक्त दो ििकमयों से मुक्त होना होगा. रांची में निर्धन परिवारों के बच्चों को पढ़ाने में विनोद जी सहित शिक्षा के क्षेत्र में लगे सभी साथियोंध् विद्यालयोंध् प्रयासों के बीच एक समन्वय बनाना पड़ेगा. यही एक ऐसा माध्यम है जिससे हम मानवीय एवं लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ी नई पीढ़ी के निर्माण में योगदान करने के साथ ही गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मौका दे सकेंगे. संघ परिवार की आलोचना मात्र से काम नहीं चलेगा. शिक्षा को ही संघ परिवार में अपनी विचारधारा के फैलाव का माध्यम बनाया है. शिक्षा के प्रसार के काम से हमारा जुड़ावध्काम मात्र संध परिवार को जवाब या उसकी काट के लिए नहीं, वरन हमे नये इंसान के निर्माण और जेपी के लोग खड़े करने में सहायक होगा.

आज हमारे कुछ साथी नई पार्टी बनाने के काम में लगे हैं. यह ठीक है कि निर्दलीयता हमारी पहचान, निष्ठा एवं शर्त रही है और रहनी भी चाहिए. पर हमने 1977 में जनता पार्टी के लिए काम किया था. कुछ ने जनमोर्चा का भी साथ दिया. नई राजनीति के लिए हो रही पहल को हमे समर्थन देना चाहिए हम इसमें शामिल हों या नहीं, हम चुनाव लड़ें या नहीं, महत्व की बात यह है कि जेपी के लोगों की पार्टी बननी चाहिए या नहीं. हमें निर्दलीय रहते हुए बिना चुनाव लड़े भी पार्टी के निर्माण में प्रत्यक्षध्अप्रत्यक्ष भूमिका लेनी होगी.

पार्टी बनाने वाले मित्रों को भी निर्दलीयता को सम्मान, उसका महत्व स्वीकारते हुए आदर देना होगा. शिक्षा के काम में लगे साथी, युवा संगठन बनाने की जरूरत महसूस करने वाले साथी और पार्टी बनाने वाले साथी के बीच आदर और सहयोग की भावना ही हमारे बाद भी जेपी के लोगों को खड़े रहने की जमीन देगी. याद यही रहे कि निर्दलीयता और शिक्षा के काम में लगे मित्रों को इस पूरी प्रक्रिया में पहला स्थान मिले.