100% सत्य!!

सोच का ही फर्क है कि एक वेश्या को आप जबरदस्ती नहीं कर सकते, मरजी भी जरूरी है.. सोच का ही फर्क है, वरना छोटे कपड़ों में बहन/माँ को देख कर गलत ख्याल नहीं आते.. सोच का ही फर्क है, वरना किसी को( बहुतों को) ये कहते हुए सुना है कि फलाना लड़की ने प्यार में #सबकुछ लुटाया, तो मेरे साथ क्यूँ नहीं.. सोच का ही फर्क है, बिन कपड़ों की( कम कपड़ों) लड़कियाँ साफ बच के निकलती हैं, और पूरे कपड़ेवाली . बच्चियाँ बलात्कार का शिकार होती हैं.. सोच का ही फर्क है कि ऐसी सोच वाले शिकायत करेंगे इसका.. और सोच का ही फर्क है कि ये कहूँगी ये लीजिए आपकी सोच,मुझे गिरी हुई मिली थी..

रामायण!!

शायद ही किसी ने ना पढ़ी हो!! सीता अग्निपरीक्षा.. जब सीता को अपनी सतीत्व की परीक्षा अग्नि में चल कर देनी पड़ी थी.. सोचती हूँ, मान लिया वो भगवान न होकर साधारण मनुष्य होतीं, जाहिर है अग्नि के हवाले हो जातीं.. फिर ये भी मान लिया जाता, कि वो सतीत्व की परीक्षा में असफल रहीं.. परीक्षा तो कहने भर की, सबके मन में तरह तरह के सोच उत्पन्न हो जाती.. लोग कहते हैं ये कलयुग है.. कलयुग में भी सीता की अग्निपरीक्षा ली जाती है.. लगभग हर पुरूष ही कौमार्य भंग को सतीत्व से जोड़ के देखते हैं.. अग्निपरीक्षा!!! 😕😕 और तरह तरह की सोच!! हाल में ही खबर पढ़ी, छ्तीसगढ़ पुलिस ने आदिवासी स्त्रियों के स्तन निचोड़ के मातृत्व की जाँच की!! मन किया जमीन फट जाता, और मैं उसमें समा जाती.. अग्निपरीक्षा!! लोग इसे धर्म , जाति से जोड़ते हैं, पर मैं पूछती हूँ आखिर स्त्री ही क्यूँ?? अब बोलो!! राम कौन, और रावण कौन?? रक्षक के नाम पे भक्षक!! अगर रक्षक ही ऐसे हैं, तो हम स्त्री भक्षक के हाथों में ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं.. जय राम नहीं!! जय रावण कहूँगी!! लोगों को करते शर्म नहीं, मुझे कहते शर्म नहीं!! फिर भी मेरे इस सोच पर कुछ लोग हो हल्ला करेंगे!! उनको ये कहूँगी!! ये लीजिए आपकी सोच!!! मुझे गिरी हुई मिली थी!!