ये चुनाव और सभा, दंड, भेद!!

कहते हैं प्यार और दुश्मनी में सब जायज है,

पर सत्ता में टिके रहने के लिए लोग क्या क्या नहीं करते चाहे वह वैध हो या अवैध .. 9 मार्च को लिट्टीपाड़ा चुनाव की घोषणा होते ही क्षेत्र में आचार संहिता लागू हो गई और उस तिथि से क्षेत्र में चुनावी वायदे करना द रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1951 के अनुच्छेद 127 का उल्लंघन है..

  1. मौटे तौर पर कहें,तो चुनाव आदर्श आचार संहिता का मतलब है कि देश की कोई भी सरकार (केंद्र या राज्य), मंत्री या अधिकारी नई योजना की शुरुआत नहीं कर सकते, यानि नए एलान नहीं कर सकते..

पर सत्ता पक्ष यानी भाजपा इसका खुलेआम उल्लंघन कर रही है .. वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झारखंड दौरा इसी का उदाहरण है, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हालात की मार ऐसी, कि सड़क छाप कच्छा का विज्ञापन टॉप के मॉडल से करवाया जाए..

2.प्रत्याशी और राजनीतिक पार्टी को रैली, जुलूस निकालने, मीटिंग करने के लिए इजाजत लेनी होगी और इसकी जानकारी पुलिस को देनी होगी.. ऐसे में पक्ष और विपक्ष का चुनावी दौरा जायज नजर आता है..

पर अंदर ही अंदर के भ्रष्टाचार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता..

3.केंद्र या राज्य सरकार किसी नई योजना की शुरुआत नहीं कर सकती.. नई घोषणाएं नहीं हो सकतीं.. कुछ खास परिस्थितियों में चुनाव आयोग की इजाज़त लेकर एेसा किया जा सकता है.. पर ऐसी क्या खास परिस्थिति आ गई कि मोदी जी को साहिबगंज में संथाल, आदिवासी और पहाड़िया जनजाति के विकास की चिंता ठीक उसी समय हो गई जिस समय लिट्टीपाड़ा चुनाव सर पर है.. ऐसे में आचार संघिता का उल्लंघन के लिए IPC की धारा 171 का केस बनता है..

4.सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल चुनावी तैयारियों के लिए नहीं किया जा सकता.. सरकारी गाड़ी, बंगले, एयरक्राफ्ट किसी का भी इस्तेमाल चुनावों के लिए नहीं किया जा सकता.. पर इसका भी खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है, सत्ता पक्ष के माथे पर शिकन साफ नजर आ रही है, इस का जीता जागता उदाहरण है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास और लुईस मरांडी चुनावी क्षेत्र में जमे नजर आ रहे हैं..

सबकी नजरें लिट्टीपाड़ा पर टिकी हुई है सोशल मीडिया न्यूज़पेपर पर लिट्टीपाड़ा चुनाव की खबरें मुख्यता से छापी जा रही हैं, पर पक्षपात यह की बिकी हुई खबरें मुख्यता से भाजपा के पक्ष में ही बातें किया करती हैं..

विकास का उदाहरण कैसा??

BJP को सत्ता में आए हुए लगभग 3 साल हो चुके हैं. पूरे झारखंड को पता है, साथ ही साथ में देश के सभी भागों में झारखंड के सबसे बड़े कानून सीएनटी एसपीटी एक्ट संशोधन की बातें फैल चुकी हैं..

एक बच्चा अपंग हो जाए तो मां उस पर विशेष ध्यान देती है, ऐसा ही मोदी जी का विशेष ध्यान झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास पर क्यों है और झारखंड पर ही क्यों है ?

सुनिए!!

जगजाहिर है की सीएनटी एसपीटी एक्ट के रहते हुए कंपनियों को झारखंड में जमीन उपलब्ध नहीं कराया जा सकता, ऐसे में मोदी जी ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को यह जिम्मा दिया है कि साम, दंड ,भेद, तरह-तरह के हथकंडे अपनाया जाए, पर झारखंड के जमीन का कानून बदला जाए ताकि झारखंड की जमीन आसानी से कंपनियों को दिया जा सके.. और समय गवाह है कि झारखंड में कंपनियों से किसका भला हुआ है. उदाहरणस्वरूप एनटीपीस, टाटा कंपनी, एचईसी..

जनसूचना के द्वारा अभी तक लोगों को यह जानकारी नहीं दी गई है की सीएनटी एसपीटी संशोधन होगा या नहीं होगा..

पता नहीं मैं कितनी सही हूं, पर भाजपा को सीएनटी, एसपीटी संशोधन में और मोमेंटम झारखंड में बहुत दिक्कतें आ रही हैं.. कंपनी झारखंड में निवेश को तैयार नहीं है. चूंकि, निवेश ग्रेड रेटिंग में झारखंड माइनस रेटिंग में जा रहा है..

इसीलिए निवेश ग्रेड रेटिंग बढ़ाने के लिए राजस्व वसूली के कई हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.. नगर निगम का होल्डिंग टैक्स बढ़ाना, पानी का टैक्स लिया जा रहा है जबकि, पानी की सुविधा तो झारखंड में गर्मी के दिनों में बदतर स्थिति में नजर आती है..

लिट्टीपाड़ा उपचुनाव विपक्षी दल का जीतना क्यों जरूरी??

समय गवाह है कि झारखंड में भाजपा सरकार की जमीन की लूट का नंगा नाच चल रहा है, ऐसे में हमारे पक्ष में बोलने के लिए किसी का होना जरूरी है..

आरोप प्रत्यारोप की बात अगर है, तो मान लिया कि पिछले जितने भी आदिवासी सत्ता में आए, उन्होंने विकास के नाम पर कुछ ना किया हो..

पर जिस तरीके से वर्तमान भाजपा सरकार विकास की बातें किए किए जा रही है, उससे कहीं ज्यादा विनाश नजर आ रहा है.. फिर भी अगर लोगों की आंखें ना खुली या BJP की जीत होती है, तो ये भी बहुत अच्छा होगा..

क्योंकि हमारे झारखंडी का जब तक सब कुछ लुट ना जाए, तब तक उनकी आंखे नहीं खुलती हैं..

..एक गद्यनुमा कविता

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क्रांति का तीर चल रहा है

कभी अनुसूची तो कभी पेसा की बात हो रही है,
कभी कोया पुनेम प्रशिक्षण तो कभी
चिंतन शिविर हो रहे है।
ऐसा लगता है जैसे,
क्रांति का तीर चल रहा है।

जिन्हें कुछ पता नही उन्हें समझाया जा रहा है,
दुश्मनो से सीना तान के डिबेट किया जा रहा है,
सिर्फ व्हॉट्स अप फेसबुक पर ही नही,
जमीनी स्तर पर भी कार्य हो रहा है।
ऐसा लगता है जैसे,
क्रां​ति का तीर चल रहा है।

जो आजतक जी रहे थे मानसिक गुलामी की जंजीरों में,
आज वह जंजीरे बेख़ौफ़ तोड़ी जा रही है,
हमारा पढा लिखा समाज,सच में जागरूक हो रहा है।
ऐसा लगता है जैसे,
क्रांति का तीर चल रहा है।

कभी आप की जय, तो कभी सेवा जोहार कानो में गूंज रहा है,
अभी भी कुछ बेईमान छुपे हुवे है समाज में,
उनका भी समाज से गद्दारी का नशा धीरे धीरे उतर रहा है।
ऐसा लगता है जैसे,
क्रांति का तीर चल रहा है।

आरएसएस और बामसेफ के गुणगान बेवजह गाते थे मेरे लोग,
आज अपनी कट्टरता से उनकी भी घर वापसी कर रहे है,
कुछ ऐसे लोग भी है जिनपे आजतक असर नही हुवा,
उनको उनकी औकात दिखायी जा रही है,
ऐसा लगता है जैसे,
क्रांति का तीर चल रहा है।

पढा लिखा होना और जागरूक होने में बहुत फर्क होता है साहब,
अपनी बुद्धि की कलम से उन्हें भी रास्ता दिखा रहे है,
जिन्हें नही था कुछ भी अंश पता,
उन्हें भी एक एक करके प्रवाह में लाया जा रहा है।
ऐसा लगता है जैसे,
क्रांति का तीर चल रहा है।