हमारे समाज की एक बड़ी आबादी के पास जीवन के कोई संसाधन नहीं. वे जीवन भर जिंदा रहने के लिए किसी न किसी रूप में दूसरों की गुलामी करते हैं. हम जैसे लेखकों, मसिजीवियों और पत्रकारों - प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रोनिक मीडिया- को भले ही यह मुगालता हो कि वे खुदमुख्तार और लोकतंत्र के चैथा स्तंभ हैं, लेकिन कठोर वास्तविकता है कि हम सब उसी कारपोरेट जगत की सेवा करते हैं जिनसे हम तहेदिल से नफरत भी करते हैं. नफरत इसलिए कि वह पूरी दुनिया शुद्ध रूप से दूसरों के श्रम का शोषण कर ही मुटियाता जा रहा है. हम प्रेस की आजादी की बात करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हमारी आजादी की सीमा वही है जहां तक हमारा आका चाहता है. हम वही लिखते हैं, विश्लेषण करते हैं, उसी नजरिये से आस पास की घटनाओं को देखते और चित्रित करते हैं, जैसा कारपोरेट जगत चाहता है. हमारे विकास का पैमाना वही बन जाता है जो वे बनाते हैं- सकल घरेलु उत्पादन, विकास दर, लुढकता- चढता सट्टाबाजार आदि. लेकिन नई तकनीक ने हमे यह अवसर दिया है कि हम बगैर उनकी गुलामी किये अपनी बात कह सके, सुन सकें, बोल सकें. अपने आक्रोश का इजहार कर सकें. लेकिन इसके लिए हमे अपनी गुलामी करनी होगी. अपनी गुलामी से आशय यह कि हम जितनी तत्परता और अनुशासन में रह कर अपने आकाओं की सेवा करते रहे हैं — समय पर उठना, तैयार हो कर दफ्तरों को भागना, इस बात के लिए चाक चैबंद रहना कि हमारे किसी बात से हमारा आका अप्रसंन्न न हो जाये, उसी तरह अपनी गुलामी का तकाजा यह होगा कि हम अपने ध्येय के लिए, जो महान है- इस समाज को बदलना- ज्यादा अनुशासित हो कर काम करें. समय के पाबंद बने. जीवन जगत के बारे मे अपने अद्यतन ज्ञान को बढाये और इस पूंजीवादी सोच को बदले कि हमारे हर काम की प्रेरक शक्ति अर्थ है. हमारा आका खुद हमारी चेतना है. हमारा यह ई मैगजीन इसी सोच का नतीजा है. हम और हमारे साथी हर रोज अपने आस-पास हो रही घटनाओं के बारे में, घटनाओं से उत्पन्न प्रतिक्रिया और सम्यक विचार लिखते और प्रकट करते हैं. हम उन्हें इकट्ठा कर सूत्रबद्ध करना चाहते है, एक मुकम्मल तस्वीर बनाना चाहते हैं अपने अतीत, वर्तमान और भविष्य की. बस हमें थोड़ी ज्यादा गहराई से अपने आस पास हो रही घटनाओं को देखना और थोड़ी अधिक तल्लीनता से उसे लिपिबद्ध करना है और सामाजिक सरोकार के इस सामूहिक उपक्रम- ‘साथी, जोहार’ को सफल बनाना है. हमने कुछ साथियों को अपना आलेख/रपट/यात्रा वृतांत/शब्द चित्र/ छायाचित्र आदि लिख कर भेजने का अनुरोध किया. आज आप सब मित्रों से एक बार फिर अनुरोध करते हैं कि वे हर तरह के सामयिक विषयों पर लिखें और हमे भेजें. मैगजीन के स्वरूप और विषय—वस्तु में निरंतर सुधार की गुंजाईश है जिसे आपके सहयोग से हम पूरा करेंगे.