हर 4 सालों में एक बार संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य राज्यों को अपने देश के मुद्दों पर विचार और रिपोर्ट प्रस्तुत करना पड़ता है.. इस साल हमारे देश के सरकारी प्रतिनिधि ने यह रिपोर्ट प्रस्तुत किया कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है..

खास जानकारी के तौर पर यह बता दूं कि भले ही हमारा देश सरकारी प्रतिनिधि का प्रतिनिधित्व कराता हो, पर संयुक्त राष्ट्र संघ, गैर सरकारी संगठन की बातों पर विचार करता है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ को अच्छी तरह पता है कि सरकारी संगठन असली मुद्दों को सामने नहीं रखते..

विगत कुछ वर्षों से मोदी सरकार द्वारा धर्मनिरपेक्ष राज्य का उल्लंघन यानी संविधान का उल्लंघन, धर्म निरपेक्षता का उल्लंघन से हम अछूते नहीं हैं ..भारत यानी हिंदुस्तान यानी हिंदू का स्थान यह कहकर कह कर हिंदू के अलावा बाकी हर धर्म वालों को (मुस्लिम,इसाई और धर्म पूर्वी आदिवासी) धार्मिक ,आर्थिक, सामाजिक कठोरता का सामना करना पड़ रहा है.. अंदरूनी सूत्रों से मालूम चला है कि वर्तमान में भारत के ज्वलंत मुद्दों हिंदू राष्ट्र ,गाय, अयोध्या राम मंदिर, दलितों पर अत्याचार, CNT/SPT, 5वीं अनुसूची की अवहेलना, मोमेन्टम झारखंड, बस्तर में नक्सली का खात्मा के नाम पर आदिवासियों पर किए जा रहे अत्याचारों के मुद्दों पर किए जा रहे राजनीति की खबरों पर संयुक्त राष्ट्र संघ नजर रखे हुए हैं..

संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य सदस्य राज्य के द्वारा दिनांक 04 मई 2017 को भारत से उसकी धर्म निरपेक्षता पर कई सवाल किए गए.. यदि अन्य सदस्य राज्य किसी एक राज्य से उसके मानव अधिकार के कार्यों से संतुष्ट ना हो तो सदस्य राज्य चाहे तो अपने अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों के उल्लंघन की वजह से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर विराम लगा सकता है..

एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय नागरिक समाज समूह है जो भारत सहित संपूर्ण विश्व में मानव अधिकारों के संरक्षण के कार्यों में लगे हुए हैं.. इनके द्वारा विभिन्न देशों में मानव अधिकारों के संबंध में वास्तविक स्थिति को स्पष्ट करने वाली इन की वार्षिक रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय समुदाय बहुत महत्वपूर्ण और ठोस आधार मानकर स्वीकार करता है.. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक समाज समूह के कार्य राज्य के अभिकरणों पर शक्तिशाली दबाव बनाने का कार्य करते हैं, तथा उन्हें मजबूर करते हैं कि वे मानव अधिकारों के प्रति समुचित आदर के साथ अपना ध्यान केंद्रित करें.. इनकी जांच रिपोर्ट में मानव अधिकार हनन के पीड़ित लोगों का सही न्याय दिलाने में भी महत्वपूर्ण सहायता करती है..

उदाहरण के तौर पर यदि भारत से चीन संतुष्ट ना हो, तो वह अपने आयात-निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकता है, और विश्व युद्ध की संभावनाएं भी आ सकती हैं, हालांकि किसी सदस्य राज्य ने आज तक अपने इस शक्ति का उपयोग नहीं किया है..

पर विश्वयुद्ध की संभावनाओं को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता.. आशा और उम्मीद है कि भारत अपने राजनीतिक मदमस्तता पर अंकुश लगाए, वरना अंतर्राष्ट्रीय दुष्प्रभाव से हमें कोई नहीं बचा पाएगा..