“रिजल्ट “ एक ऐसा शब्द जिसे सुनकर डर लगता है सबको, जिसने भी परीक्षा दी हो, क्योंकि बहुत सारी उम्मीदे होती हैं, बहुत सारी बातें निर्भर करती हैं उस रिजल्ट पर. जैसे, आगे किस किस कॉलेज में एडमिशन मिलेगा? हमारे पेरेंट्स क्या बोलेंगे? उनकी उम्मीदें जो हमसे है, उनका क्या? और हमारे टीचर्स जिन्हें अपना नाम खराब होने का इतना डर रहता है, बच्चों के रिजल्ट से. ये सारी बातें टिकी होती हैं हमारे रिजल्ट पर.

अब जिसने पूरे साल पढ़ाई की है, उसका क्या हाल होता होगा रिजल्ट के नाम पर? ज्यादा पढ़ने वाले बच्चों को कम परसेंटेज आने या अच्छे कॉलेज में एडमिशन पाने की चिंता और जिन्होंने कम पढ़ाई की है, उनको फेल होने और साल खराब होने का डर. मतलब कम पढ़ने या ज्यादा पढ़ने वाले दोनों ही बच्चों की अपनी अपनी चिंता है.

बच्चे डरते हैं फेल होने से, चाहे वह बोर्ड एग्जाम हो या किसी कॉलेज का एंट्रेन्स एग्जाम हो, और इसी डर में वो अपने जीवन को खतरे में डालने का काम करते हैं. वो यह बात ही भूल जाते हैं कि ये सब जो पढ़ाई वो कर रहे हैं, वो उनके अच्छे भविष्य के लिए है, नाकि उनकी ज़िंदगी को खत्म करने के लिए.

क्या हुआ जो मार्क्स कम आये या क्लास में फेल हो गए. कौन फेल नहीं होता? जिनके अविष्कारों को हम अपनी किताबों में पढ़ते हैं, क्या उन्होंने वो सारे अविष्कार पहली बार मे ही कर लिए? नहीं ना? तो हम क्यों अपने फेल होने को अपनी जिंदगी का आख़िरी परिणाम मान ले और इतना बड़ा कदम उठाए.

शिक्षा हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह हमारे जीवन को ज्यादा सरल बनाती है, आगे आने वाली रुकावटों को कम करती है. इसलिए पढ़ाई तो बहुत जरूरी है, खूब करनी चाहिए. लेकिन यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि स्कूल/कॉलेज में होने वाली परीक्षायें सिर्फ इस बात का मूल्यांकन करती हैं कि कितने सचेत हम अपने क्लासरूम में रहे पूरे साल. रिजल्ट यह बताता है कि पूरे साल हमने कितना पढ़ा नाकि यह कि हमारे अंदर कितना दिमाग है. अगर फेल होते हैं तो इसका सिर्फ इतना ही मतलब है कि हमने पूरा नही सीखा. इसकी कई वजह होती है. उन कारणों को जानें और दुबारा और ज्यादा अच्छे से तैयारी में जुट जाएं, बिना रुके ,धैर्य और सहनशीलता के साथ. आशावादी रहें और हमेशा याद रखें, हर कोई सफल होता है. पहली बार मे ना सही अगली बार में.

खराब रिजल्ट पैरेंट्स या टीचर्स की नाराजगी की वजह जरूर बन सकता है, क्योंकि वो चिंता करते हैं लेकिन वो ये कभी नहीं चाहेंगे कि उनके बच्चे हताश हो या सुसाइड करें. उनका प्यार इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हमारा रिजल्ट क्या रहा.

“असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो,

क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो।

जब तक ना सफल हो नींद चैन को त्यागो तुम,

संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम।

कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती,

कोशिश करने वालो की हार नहीं होती।”

तो, जैसा भी रिजल्ट आये, स्वीकार करिये,अच्छा हो या ख़राब, पास हो या फ़ेल. डरिए बिल्कुल नहीं. और धैर्य के साथ,बिना रुके अपने लक्ष्य के लिए बढें. कोई बात नहीं अगर इस बार रिजल्ट अच्छा नहीं है, अगली बार ज्यादा मेहनत करें. लेकिन प्रयास करना ना छोड़े और कभी पीछे हटने की न सोचें.