जब भी कोई लड़की कुछ लिखती है या कहती है— कहीं भी, अपने कॉलेज में,घर मे या सोशल साइट्स पर, तो वह उसके खुद के विचार होते हैं. जरूरी नही की आप उससे सहमत हो. क्या पता, उसने कुछ ऐसा लिखा जो शायद गलत हो. तो ऐसे समय मे हमे उसका विरोध करना चाहिये. अगर आप उससे सहमत नहीं तो अपनी असहमति व्यक्त कीजिये. सबको हक है अपनी बात रखने की. लेकिन असहमति उसके विचारों के लिए, उस एक पोस्ट के लिए होनी चाहिए, ना कि उस लड़की के ही पीछे ही पड़ जाये. उसको ही धमकी देने लगे.

ऐसा बिल्कुल नही है कि अगर एक लड़की की बात से आप असहमत हैं तो उसको लड़की समझ के छोड़ दे, बिल्कुल नहीं. उसका बराबर विरोध करिये, उससे बहस कीजिये. लेकिन बहस मर्यादित भाषा मे हो. असहमति व्यक्त कीजिये, मगर शालीनता के साथ.

लेकिन नारी को पूजने की बात करने वाले देश मे लोग जरा सी असहमति पर अपना आपा खो बैठते हैं और फिर गाली गलौच पर उतर आते हैं. और हाँ, उनके पास एक सफल फार्मूला होता है किसी लड़की को शांत करने का. उसके चरित्र को लेकर उल्टी सीधी बातें बोलना, जो एकदम मनगढंत होती हैं.

जब कोई पुरूष ऐसे गाली गलौच या महिला के कैरेक्टर के लिए उल्टा सीधा बोलने लगे तो इसका मतलब साफ है कि वह खुद एक कमजोर आदमी है, जिसके पास कोई तर्क नही है, जिससे वह उस महिला की बात का विरोध कर सके. फिर चाहे वह अभिजीत जैसे बददिमाग गायक हों. कोई भी आदमी जो कमेंट में गालियां लिख के भाग जाते हैं या हमारे साथ के कुछ लोग.

वैसे जो महिलाएं अपनी बात रखती हैं, चाहे घर में या बाहर, वे इन गालियों से डरने वाली नही होती हैं. बहादुर होती हैं, तभी इतना बोल पाती हैं. तो इन सबसे तो आप उनको चुप नही करा सकते? कोई फायदा नहीं. इसलिए बजाय इन घटिया तरीकों के, वे अपना बौद्धिक विकास करें, तब विरोध करें. अब वह जमाना चला गया जब आप किसी महिला को उल्टी सीधी बातें बोल कर चुप करा देते थे.