झारखण्ड प्रदेश अनुसूचित जनजाति बहुल प्रदेश है। इस प्रदेश मे 30 से भी ज्यादा जनजाति समुदाय सैकड़ो वर्षों से स्वछंद और स्वतंत्र रूप से निवास करते आ रहे है।

झारखण्ड प्रदेश के ऐसे पंद्रह जिले है जिसे गजट ऑफ इंडिया और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के अनुसार झारखण्ड द्वारा अनुसूचित क्षेत्र (पाँचवी अनुसूची ) के रूप मे चिन्हित किया गया है ।

यानि, पाँचवी अनुसूची मे शामिल किये गये विशेष जनजातिय समूहों के क्षेत्र में समान्य क्षेत्र के नियम लागू नही होंगे,मतलब अनुसूचित जनजातियों का पूर्ण संरक्षित क्षेत्र। अब महत्वपूर्ण सवाल ये है जब भारत का संविधान अनुसूचित क्षेत्र मे किसी भी सामान्य क्षेत्र के कानून को हस्तक्षेप करने की इजाजत नही देता, तो क्या इस प्रदेश के विधानसभा को क्या यह अधिकार है ​कि जनजातियों के लिये बने कानून को बिना सहमति के विधायक या मंत्री जबरन संशोधित करने की चेष्टा करें? क्या यह असंविधानिक नहीं है? झारखण्ड के जनजातियों के हित मे बने कानून cnt act & spt act मे बार बार संशोधन के पीछे का उद्देश्य क्या है?

जितने भी व्यवसायिक लोगो ने इस प्रदेश मे भूमि का सरकार की मदद से अधिग्रहण किया है, वह सब यहाँ के स्थानीय जनजातियों की जमीन है। जनजातियों के परम्परागत व्यवस्था यानी ग्रामसभा की अनुमति के बिना हजारो एकड़ भूमि पर बाहरी कम्पनियों का कब्जा हो गया है।

प्रदेश मे भाजपा नये झारखण्ड राज्य बनने के साथ ही काबिज रही है और वर्तमान मे इनकी ही सरकार चल रही है। परंतु सरकार की नीति सिर्फ स्मार्ट सीटी और उद्योग जगत के लिये नये नये अवसर तलाशने मे जुटी हुई है । सरकार किसकी ज़मीन पर स्मार्ट सीटी बनायेंगी? राज्य सरकार को बिना ग्रामसभा के अनुमति के झारखण्ड की जनजातीय समुदाय की एक इंच ज़मीन लेने का अधिकार नही, फ़िर उनकी ज़मीन उद्योगपतियों को कौन दे रहा है?

झारखण्ड की राजधानी रांची मे ‘ग्लोबल इन्वेस्टर्स’ के लिये फरवरी माह 2017 को दो दिवसीय आयोजन किया गया था जिसे ‘मोमेन्टम ऑफ झारखण्ड’ का नाम दिया गया था। देश विदेश के दुनियाँ भर के उद्योगपति इस आयोजन मे शामिल थे । टाटा ग्रूप,बिरला ग्रूप,कुमारमंगलम ग्रूप, वेदांता ग्रूप, जिंदल ग्रूप,एस्सार ग्रूप,अदानी ग्रूप के प्रतिनिधि और अन्य देशों से आये राजदूत भी शामिल थे।

झारखण्ड सरकार की स्मार्ट सीटी की बात,ग्लोबल इन्वेस्टमेंट की बात करती है, वह बहुत बढ़िया। उससे इस प्रदेश के विकास मे चार चाँद लग जायेगा, लेकिन महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि विकास के इस बयार मे स्थानीय जनता और विशेष अनुसूचित क्षेत्र की जनजाति समूहों का भविष्य क्या होगा.

सच्चाई तो यह है की ज़मीन और उस ज़मीन से निकलने वाले बेशकीमती खनिज और संसाधन स्थानीय लोगो की और वहाँ के जनजातियों की लेकिन विकास का मजा कोई और उठा रहा है।