यों से चला आ, रहा है मानो उसी की हुकूमत है. जमीन भी उसकी आसमान भी उसका. क्यों कि टाटा स्टील का लोहा बनाने का कारखाना शहर के बिलकुल बीचों बीच में है और हजारों एकड़ जमीन लीज के तौर पर टाटा स्टील ने सरकार से प्राप्त कर रखी है. इसमें टाटा स्टील की फैक्ट्री, उसके स्टाफ क्वॉर्टर, फ्लैट, हॉस्पिटल आदि शामिल है.

अब सवाल यह बनता है के इतने सब के बदले में टाटा स्टील जनता को देती क्या है? तो जवाब है जैम स्ट्रीट के नाम का लाॅली पाॅप, जिसका आयोजन पीछले कुछ दिनो से बिस्टुपूर में टाटा स्टील द्वारा जैम स्ट्रीट प्रोग्राम के नाम से किया जा रहा है, जो रविवार सुबह 6 से 10 तक चलता है. इसमें कई मनोरंज भरे कार्यक्रम होते हं.ै और इस कार्यक्रम में टाटा स्टील के बड़े आला अधिकारी भी आते है. पर इन सब कार्यक्रम का लाभ जनता को क्या मिलता है….केवल मनोरंजन!! क्या शहर के लोगों की जिंदगी ऐसे जैम स्ट्रीट के प्रोग्राम करने से बदल जाएगी?

जहाँ पहले टाटा स्टील द्वारा स्कूल कॉलेज, शिक्षा के अच्छे संस्थान चलाए जाते थे, जिससे लोगों का कल सुधरता था, वो सब बंद करके लोगों को ऐसे मनोरंजन भरे लौली पोप दिये जा रहे हैं. टाटा स्टील का स्वास्थ केंद्र, टाटा मेन हॉस्पिटल अब चार गुणा ज्यादा फीस वसूल रहा है इलाज के लिए. गरीब परिवार के लिए टाटा के हॉस्पिटल में इलाज कराना बहुत दिक्कत की बात हो गई है. वह इतना महंगा हो गया है कि उनके लिए वहां इलाज कराना मुश्किल है.

शहर के बाहर जाएँगे तो ना अच्छी सड़क, ना बिजली, ना पीने का साफ पानी. शहर में बड़े गाड़ियों के आगमन से यातायात दिन प्रति दिन खराब होता जा रहा है.

वैसे, शहरवासी भी खुश हैं नाच गा कर, तो जरूरत किस चीज की!!

टाटा स्टील की सब्सिडी कम्पनी जुस्को टाटा लीज क्षेत्र में ऊँची और अच्छी गुणवत्ता वाली बिजली और पानी उपलब्ध कराता है, परंतु उसके पैसे भी वो डबल मुनाफे के साथ वसूल लेता है….तो शहर वासियों को मिला क्या….लाॅली पाॅप?