हमारा देश विविधताओं का देश है, जिसमे विभिन्न धर्म,सम्प्रदाय,भाषा और जाति के लोग रहते है जिन्हें संविधान में अपने अनुसार धार्मिक, व्यावसायिक और सामाजिक दायित्व और अधिकार प्राप्त हैं. अगर सारे धर्मों को हम जाने तो सबमे एक बात समान है कि सभी धर्म सिर्फ एक ही कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं. वह है, मानवोचित कर्म. यानि, कि ऐसे काम जो मानव जाति के लिए उचित हैं. धर्म वह मार्ग है जिस पर चल कर हम एक अच्छा मानव बनते हैं. धर्म हमे बताता है कि कैसे हम एक अच्छा इंसान बने, कैसे हम वे सारे काम करें जो नैतिक रूप से सही हैं, जिसका बाकी लोग भी अनुकरण कर के लाभान्वित हो सके. इसका मतलब यह है कि जब तक हम वो काम करते हैं जो बाकी के लिए भी अच्छा है, तो हम अपने धर्म को बहुत अच्छे से समझ भी रहे हैं और मान भी रहे हैं. लेकिन जब भी हम कोई भी ऐसा काम करते हैं, जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे तो हम उस समय अपने धर्म के रास्ते से हटकर अधर्म के रास्ते पर होते हैं. चाहे फिर वह काम आप अपने धर्म की रक्षा के नाम पर ही क्यों न कर रहे हो. क्योंकि, कोई भी धर्म हमें यह कभी नहीं सिखाता कि हम किसी दूसरे को मार डाले या उसका घर जलाएं. और अगर हम ऐसा काम करते हैं तो इसका मतलब है कि हम धर्म को न मानकर उन व्यक्ति विशेष के प्रभाव में हैं, जो हमे धर्म के नाम पर उकसाते हैं. हम उनके बहकावे में आकर और धर्म का सही मतलब भूल कर,अमानवीय कृत्य करने लग जाते है जो हमे सिर्फ अधर्मी बनाते हैं.

सबके प्रति स्नेह और सदभाव हमारे देश के लोगों की विशेषता है. हमारा देश एक धर्म निरपेक्ष देश है जहां हर धर्म के लिए समान भाव है और साथ ही साथ हर व्यक्ति पूरी तरह से स्वतंत्र है किसी भी धर्म को मानने के लिए. सबके अलग अलग रीति रिवाज हैं,अलग अलग धार्मिक स्थल हैं और हमारे संविधान के अनुसार कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति को अपना धर्म अपनाने के लिए दबाब नही डाल सकता. हर किसी को धर्म और आस्था की पूरी स्वतंत्रता है, फिर चाहे किसी जगह के 100 घर मे से 5 ही घर अलग धर्म के क्यों न हो, वो भी पूरी तरह से स्वतंत्र है अपने धर्म को मानने के लिए. उनके साथ कोई जोर जबरदस्ती नही होनी चाहिए. हमे दूसरों के धर्म के प्रति भी पूरा आदर रखना चाहिए.

ये हमारी सरकार का भी दायित्व है कि वो धर्म के आधार पर शासन/ प्रशासन ना चलाये. क्योंकि राज्य का संचालन जब भी धर्म के आधार पर होता है तो उसके सदैव दुष्परिणाम होते हैं, चाहे हम फिर इतिहास की बात करें या फिर अभी हाल की घटनाओं पर नज़र डालें. इसलिए ऐसी साम्प्रदायिक घटनाओं से बचने के लिए यह बहुत जरूरी है कि राजनीतिक फायदे को छोड़ कर सबके लिए एक से रहे और एक अच्छा उदाहरण अपनी जनता के सामने रखें. क्योंकि जब किसी राज्य का हिन्दू धर्म का मुख्यमंत्री एक दरगाह पर जाता है या देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम जी जैसा कोई मंदिर जाता है तो, ये बाकी जनता के लिए अच्छा सन्देश होता है.

इसलिए आजकल के माहौल को देखते हुए हम सबको चाहिये कि हम धर्म के रास्ते पर चलें, और अपने धर्म के साथ साथ दूसरे धर्मों का भी आदर करें. इस बात को हमेशा याद रखे कि ना ही तो हमारा धर्म खतरे में है और ना ही वो कभी खतरे में आ सकता है. हाँ लेकिन अगर हम धर्म के नाम पर लड़ते हैं तो हम अपने धर्म को बदनाम जरूर करते हैं. इसलिए धर्म के नाम पर लड़े नही उसको समझे.