विश्व भर के देश अपनी विशेषताओं के कारण अपनी एक खास पहचान बनाये हुए हैं. किसी देश की विशेषता का मुख्य आधार जितना उस देश की जलवायु और प्राचीन सभ्यता पर निर्भर होता है, उससे कहीं ज़्यादा उस देश की वर्तमान स्तिथि और संस्कृति/तहजीब पर निर्भर होता है. कुछ ऐसा ही हमारा देश है जिसे अनेक नामों और खूबियों के बल पर जाना-पहचाना जाता है. कोई इसे गंगा-ज़मुनी तहजीब का मुल्क कह कर पुकारता है, तो कोई सेक्युलरिज्म का डंका बजाता है. यही एक ऐसा मुल्क है जिसे सोने की चिड़िया भी कहकर पुकारा गया.

लेकिन इस सत्य से कोई इंकार नही कि जैसे-जैसे समय करवट लेता है, वैसे-वैसे ही हालात और विशेषताओं में बदलाव आता है और यह भी सार्वजनिक सत्य है कि देश की विशेषताओं में वृद्धि या हानि वहाँ की सरकार द्वारा किये गये कार्यो का प्रतिफल होती है.

आज हमारा देश उन सभी खूबियों को खोता नज़र आ रहा है, जो कभी मुल्क की शान हुआ करती थीं. हम उस देश के नागरिक हैं, जहाँ कभी गंगा-ज़मुनी तहजीब के बुलंद नारे दुश्मनों को छिन्न-भिन्न कर दिया करते थे. लेकिन आज हमारा देश इन सभी विशेषताओं को लुप्त करने की कगार पर है. हम रोज़ अपने देश के हालात देखते हैं कि किस तरहाँ गंगा-ज़मुनी तहज़ीब छिन्न-भिन्न होती जा रही हैं. हर सुबह कोई नई सूचना मिलती है जो ह्रदय की गति में निरंतर वृद्धि करती चली जाती है. सांसो को उखाड़ फेंकती है और शरीर में कम्पन पैदा कर देती है.

आज देश भर में राजनीति होती है तो सिर्फ मजहब के नाम पर, जाति के नाम पर, हिन्दू - मुस्लिम के नाम पर, दलित पिछड़ो के नाम पर. अरे ये क्या तमाशा बनाया हुआ है! यह देश है कोई आलू-मटर की सब्जी नहीं! चाहे जैसे पका दिया जाये.!!

देश में विकास कार्यों से ज़्यादा धर्म की चर्चा होती है जो हमारी आर्थिक स्तिथि को निरंतर खोखला बना रही हैं. देश के चरित्र को धूमिल कर रहीं हैं. और देश से उन सभी खूबियों को छीन रही हैं जो देश की शान हुआ करती हैं.

अभी हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के द्वारा किये गये काम और दिये गये बयान भी किसी हिन्दू-मुस्लिम भेद-भाव की भावना से कम नही देखे जा सकते हैं.

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रावत का फरमान जारी हुआ कि मदरसो में मोदी जी की तस्वीर लगा दी जायें. अरे रावत जी कैसी बच्चों वाली बाते करते हो. इन तस्वीरों से क्या होगा भला!!! ये मुसलमान तो बेचारे अपने खुदा की कोई काल्पनिक तस्वीर भी नहीं लगा सकते हैं, क्योंकि मस्जिद-मदरसो में तस्वीरों का होना अपमानजनक बात है. और आप हो कि मोदी की तस्वीर मदरसो में टंगवा रहे हो!

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी भी कुछ इस तरहाँ के कार्य करते नज़र आ रहे है जो किसी एक समाज को आहत करने पर उतारू हैं. अभी हाल ही में हज हाउस की बिल्डिंग पर भगवा रंग कराने की बात सामने आई है, जो योगी सरकार द्वारा कराया गया था. योगी जी, क्यों किसी अनावश्यक कार्य को कर रहे हो जहाँ विकास कार्यो की आवश्यकता है वहाँ ध्यान दीजिये! क्यों किसी धर्म विशेष को टार्गेट किया जा रहा है? यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित हज हाऊस पर अनावश्यक रंग कराने की क्या ज़रूरत थी, उस पर तो पहले ही रंग चढ़ा हुआ था. अभी रंग हुए दो दिन ही गुजरे थे कि फिर दीवारों को भगवा रंग से पीले रंग में तबदील कर दिया गया, आखिर ये क्या तमाशा है?

देश में दलितों को खुले आम अपमानित किया जा रहा है.

गत् 15 दिसम्बर को गुजरात की राजधानी अहमदाबाद के अमराईवाड़ी इलाके में एक दलित को थाने में अपनी जाति बताने पर 15 पुलिसवालों ने उसे जूता चटाया.

1 जनवरी को महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित भीमा कोरेगांव और आसपास के इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़की थी जिसमें 28 वर्षीय राहुल फटंगडे भी मारा गया. राहुल दंगाइयों का शिकार हो गया. आखिर राहुल का गुनाह क्या था?

आज हमारा देश उन ऊचाईयों को छू रहा है जिसके बारे में बात करते हुए फ़ख्र तो क्या अब शर्म आती है. देश को धर्मो के आधार पर बांटने की नापाक कोशिश की जा रही है. देश में हिंदुत्व का वो नाच नचाया जा रहा है माननीय नेतागण भी देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बेहुदा और बेबुनियाद बात करते फिर रहें हैं.

अरे क्या आप भूल गये कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी इस तंत्र का हिस्सा हैं?

क्या वह नारा भूल गये जिसका पाठ विद्यालय की देहलीज पर कदम रखते ही गुनगुनाना शुरू कर दिया था।

“हिन्दू-मुस्लिम सिख-इसाई आपस में हम भाई-भाई”

हिन्दुस्तान की राजनीति की असल बुनियाद सेक्युलरिज्म है. जिसे देश से हटाने की गंदी कोशिश की जा रही है और मैं इस देश का नागरिक होने के नाते दावे से कहता हूँ कि ये कोशिश आपके लिये सिर्फ कोशिश बनकर रह जायेगी! क्या इन सभी घटनाओं से भारत की पहचान पहले से ज़्यादा बेहतर और खूबसूरत बन सकती है?

क्या भारत को अनेकता में एकता वाला देश कहा जा सकेगा?