संसद में प्रधानमंत्री के वक्तव्य के दौरान सांसद रेणुका चौधरी ने जोर से हंस दिया. मोदी जी ने उनका मजाक उड़ाते हुये कहा कि रामायण सीरियल की बहुत दिनों बाद यह हंसी सुनने को मिल रही है.लेकिन हमे तो महाभारत के चीरहरण की याद आ गई. औरत का अपमान प्रधानमंत्री कर रहे थे. बीजेपी सांसदों ने मेज थपथपा कर स्वागत किया और मजाक पर हंसा भी. बीजेपी के एक सांसद ने तो अपने मोबाईल पर सूर्पनखा का वीडियो ही जारी कर दिया. कांग्रेस की महिला सांसदों ने मोदीजी के इस मजाक को बहुत गंभीरता से लिया. कांग्रेस सांसद सुस्मिता देव ने कहाकि प्रधानमंत्री अपने पद की गरिमा को भूल कर इस तरह के भद्दे मजाक पहले भी कर चुके हैं. उन्होंने ही पहले शशि थरुर की पत्नी पर कटाक्ष करते हुये कहा था कि यह पचास करोड़ की महिला मित्र हैं. इस तरह के मजाक करते समय समाज में एक महिला के महत्वको वे भूल जाते हैं क्योंकि उन्होंने खुद अपनी पत्नी को छोड़ रखा है. दूसरी सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहाकि रेणुका चौधरी जैसी सशक्त महिला पर इस तरह के हल्के मजाक करना प्रधानमंत्री के महिला सशक्तिकरण के नारे के खोखलेपन को ही दिखाता है. उन्होंने प्रधानमंत्री से माफी मांगने को कहा.

दूसरी ओर बीजेपी प्रवक्ता मोदीजी के इस मजाक को मजाक के तौर पर ही लेने को कहा क्योंकि उनके इस मजाक का आनंद केवल बीजेपी पुरुष सांसद ही नहीं, बल्कि कांग्रेस तथा कम्युनिस्ट पार्टी के पुरुष सांसदों ने भी उठाया. इसलिए यह कोई गंभीर बात नहीं है. लेकिन उन्होंने इस बात पर गौर नहीं किया कि उस समय संसद में उपस्थित रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन गंभीर बनी रही.

भारतीय समाज में औरत को पुरुष का अनुगामी माना जाता है. शारीरिक मानसिक तथा बौद्धिक स्तर पर वह चाहे जितना भी सक्षम हो, पुरुषप्रधान समाज उसे कभी यह अधिकार नहीं देता कि वह खुल कर हंसे, बोले या अपनी इच्छाओं को व्यक्त करे. अगर कोई स्त्री ऐसा करती है तो वह चरित्रहीन होगी. उसे सजा देनी हो तो सबसे पहले उसके रूप—रंग पर आक्रमण होता है और फिर शारीरिक शोषण. भारतीय संसद में स्त्री हो या पुरुष, जनता के द्वारा चुने गये प्रतिनिधि होते हैं. इस दृष्टि से रेणुका चौधरी को पूरा अधिकार है विरोध प्रदर्शन का. लेकिन उनके इस विरोध का मजाक बनाया जारहा है. सूर्पनखा से तुलना कर उनका अपमान किया गया और पुरुष सांसदों ने अपने अहम की तुष्टि की.

महिला की सुंदरता के मानक भी पुरुषों के द्वारा ही निर्धारित होते हैं. गौर वर्ण, कमल की तरह नयन, सुतवा नाक. इस तरह स्त्री के सौंदर्य का पैमाना बनाया गया. इन सारे विशेषताओं से युक्त महिला सुंदर कहलायेगी. किसी स्थान विशेष की महिलायें काले रंग, फैली हुई नाक, छोटी आंखों के साथ भी अपने समाज में सुंदर ही कहलाती हैं, जो हमारे चिंतन से परे की चीज है. सूर्पनखा शक्तिशाली महाज्ञानी राजा रावण की बहन थी. उनके समाज की रीति परंपराओं में पली बढ़ी स्वतंत्र, अपनी इच्छाओं को खुल कर व्यक्त करने वाली एक सुंदर स्त्री. उसने राम पर आसक्त हो कर अपनी इच्छा को व्यक्त कर ही दिया तो उसका अपराध ऐसा नहीं था कि उसकी नाक काट ली जाये. राम ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उनके समाज में किसी स्त्री का इस तरह इच्छा व्यक्त करना अकल्पनीय और अपराध है. पुरुष सत्तात्मक समाज में केवल पुरुष को ही यह अधिकार है कि वह अपनी पसंद की स्त्री को चुने और प्रेमाभिव्यक्ति करे.

गौरतलब है कि उत्तरपूर्व से आने वाली चपटी नाक और गोल आंखें लिये हुये लड़कियां दिल्ली जैसे महानगर में अलग—थलग पड़ जाती हैं और भद्दे नामों से पुकारी जाती हैं जो भारतीय समाज की संकीर्णता का सूचक है.

इस तरह पुरुष की श्रेष्ठता समाज से संसद तक दिखती है. स्त्री की आजादी, स्त्री पुरुष की बराबरी, स्त्री सशक्तिकरण के नारे देने वाले ये सारे सांसद अंततोगत्वा पुरुष ही होते हैं.