देश और झारखण्ड में हाल के दिनों में दर्जन से ज्यादा भूख से मौतें हो चुकी है. जरूरतमंदों को राशन तक नहीं मिल रहा है. गरीबी-बेरोजगारी-पलायन-विस्थापन का दायरा बढ़ता जा रहा है. शिक्षा-चिकित्सा बदहाल है. स्वच्छ पेयजल भी सबको उपलब्ध नहीं है. वहीं दूसरी तरफ देश भर में लगातार दलित समुदाय के ऊपर हमला बढ़ा है तथा बर्बर तरीके से प्रताड़ित करने की घटना भी बढ़ी है. देश भर में महिलाओं के ऊपर अत्याचार, बलात्कार तथा बलात्कार के बाद बर्बरतम तरीके से महिलाओं की हत्या किए जाने की घटना भी लगातार हो रही है. देश में जनविरोधी किसान विरोधी सरकारी नीतियों के वजह से तथा कृषि क्षेत्र को बिल्कुल खत्म करने के सरकारी साजिश के वजह से देश के अंदर हजारों किसान आत्महत्या कर चुके हैं.

भाजपा नेतृत्व वाली झारखण्ड सरकार कॉरपोरेटों के फायदे के लिए जल-जंगल-जमीन की लूट को अधिकतम आसान बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन कर चुकी है. इस संशोधित कानून के माध्यम से बिना किसी रोक टोक के तथा ग्रामसभा को बिना कोई निर्णायक भूमिका दिये मनमाना अधिग्रहण होगा. लंबे संघर्ष से हासिल अधिकार और खासतौर पर आदिवासियों को हासिल कानूनी सुरक्षा कवच भी खत्म किया जा रहे हैँ. कृषि योग्य जमीन की बेपनाह लूट का रास्ता खोल दिया गया है. खाद्य सुरक्षा भी खतरे में है. नतीजा भूख का भूगोल बढ़ेगा. पर्यावरण बर्बाद होगा. बेरोजगारी-विस्थापन और पलायन बढ़ेगा. कहिए तो झारखंड के अस्तित्व पर संकट बढ़ेगा.

पिछले दिनों सीएनटी-एसपीटी एक्ट को खत्म करने के खिलाफ निर्णायक लड़ाई हुई थी सरकार को पीछे हटना पड़ा. लेकिन दूसरे रास्ते से लैंड बैंक के जरिए लगभग 21 लाख एकड़ गैरमजरुआ जमीन लूट ली गयी. हाल ही में 210 एमओयू के जरिए 3.10 लाख एकड़ जमीन का सौदा हुआ है.

इसी बीच ग्राम सभा की स्वायत्तता की भावना से शुरु हुए पत्थलगड़ी आंदोलन को विवादास्पद गैंगरेप सहित अन्य बहाने से कुचल दिया गया है. यह आंदोलन ग्राम सभा के कानूनी व संवैधानिक अधिकार को बुलंद करने के साथ सचमुच में कॉरपोरेट लूट के खिलाफ जाता है. इस आंदोलन के पक्ष में सोशल मीडिया में लिखने वाले 20 सामाजिक कार्यकर्ताओं-बुद्धिजीवियों पर देशद्रोह का मुकदमा लाद दिया गया है. तथा देश भर में से सामाजिक सरोकार रखने वाले मानवाधिकार कर्मियों-बुद्धिजीवियों को अर्बन नक्सल के नाम से गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया जा रहा है.

कॉरपोरेट हित में आरएसएस एवं भाजपा के द्वारा जनता की एकता और आंदोलन को तोड़ने व कमजोर करने के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ ही आदिवासियों के बीच क्रिश्चन और गैर क्रिश्चन के नाम से विभाजन एवं झारखंडियों के बीच आदिवासी और मूलवासी के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश चल रही है. झारखंड के अमन-चैन की संस्कृति में सांप्रदायिक जहर घोलने की योजनाबद्ध कोशिश मॉब लिंचिंग के रूप में सामने आ रही है. दर्जन से भी ज्यादा मॉब लिंचिंग की घटनाओं में मुसलमानों - आदिवासियों एवं अन्य लोगों को गौरक्षा-गौमांस के बहाने क्रूरतापूर्वक मार दिया गया है. आकड़ों की मानें तो मॉब लिंचिंग की घटनाओ में झारखण्ड पहले नंबर पर है. इन हत्यारों को सत्ताधारी भाजपा के विधायक, सांसद एवं मंत्री सम्मानित कर रहे हैं, माला पहना कर साथ में फोटो भी खिचवा रहे हैं. पाकुड़ में आदिवासियों के कार्यक्रम में बोलने गये देश के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश के ऊपर जान लेवा हमला किया गया.

साथ ही ST, SC, EBC/MBC, OBC को मिलने वाले आरक्षण और सामाजिक न्याय पर केन्द्र सरकार हमला कर रही है. आज जरुरी हो गया है कि इस मोर्चे पर भी संघर्ष तेज होना चाहिए. डेढ़ दशक पहले झारखंड कैबिनेट ने एसटी, एससी, इबीसी/एमबीसी व ओबीसी आरक्षण के दायरे को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 73 प्रतिशत करने का फैसला लिया था. हाईकोर्ट के स्टे के बाद जाती-आती सरकार चुप है. सरकार को चाहिए कि 73 प्रतिशत आरक्षण को विधानसभा से पारित कराकर केन्द्र सरकार को भेजे और केन्द्र सरकार 9वीं अनुसूची में डाले. तथा साथ में प्राइवेट क्षेत्र के नौकरियों में भी तथा सभी तरह के ठेका पट्टा में भी ST, SC, EBC/MBC, OBC के लिए आरक्षण लागू करवाने के लिए भी संघर्ष करने की जरूरत है. और इसी कड़ी में हमलोगों को झारखंड राज्य में महिलाओं को हरेक वर्ग के अंदर 50% आरक्षण को लागू करवाने और ट्रांसजेंडर के लिए भी आरक्षण लागू करवाने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ने की जरूरत है.

सरकार रोजगार वृद्धि के नाम पर स्किल इंडिया का जो कार्यक्रम चला रही है, उससे सच में रोजगार नहीं मिल रहा. पुराने रोजगार प्राप्त लोगों को हटाकर उनकी जगह सस्ते दर पर इन कथित दक्ष लोगों को रखा जा रहा है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति पहले से खराब है. रघुवर सरकार ने स्कूलों का विलय करके और भी भयावह स्थिति पैदा कर दी है.अब तो उच्च शिक्षा में दिया जाने वाला स्कॉलरशिप को भी बंद करके छात्रों भविष्य बर्बाद कर दिया गया है.

हमे पारंपरिक राजनीतिक दलों के मोह से मुक्त रहकर नयी राजनीति धारा विकसित करनी होगी. उपरोक्त मांगो को मुक्कमल अंजाम तक पहुंचाने, एक सही और नयी जन राजनीति बनाने के मकसद से 24 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक एक पदयात्रा का आयोजनत किया जा रहा है जो घाटशिला से चल कर रांची पहुंचेगा. कार्यक्रम की जानकारी के लिए निम्न नंबरो पर कॉल किया जासकता है.

बीरेंद्र कुमार – 7544099299

दीपक रंजीत – 9431150509