हमारे संघर्ष के साथी ललित मुर्मू नहीं रहे. दिल्ली जाने के क्रम में इलाहाबाद कानपूर के बीच 10 मार्च की सुबह हृदय आघात से उनकी मृत्यु हो गई. ललित, पूर्व विधायक थियोदोर किड़ो, वारिश कुरैसी, सोनू लकड़ा और मैं दिनांक 9 मार्च २०१९ को राजधानी रेल से दिल्ली के लियै निकले. सब कुछ ठीक था. हाँ ललित थोड़ा असहज था पर बोला हम ठीक हैं. बैठे और चल दियै. बता दूं ललित कल ३ बजे शाम ही राँची स्टैशन पहूँच गया था और मुझे फोन कर कहा कि जल्दी आईये हम पहुँच गये हैँ. दिल्ली जाने का सारा प्रोग्राम ललित ने ही बनाया था और तिथि भी उसी ने ही तय किया था. बड़ा उत्साहित था. गोमो में उसने पेट मेँ गैस की बात कही और कहा थोड़ा दर्द हो रहा है. हमलोगोँ ने उसे लेट जाने की सलाह दी. वह लेट गया. पर गैस का दर्द बढ़ता गया और रात दोपहर बहुत ही बढ़ गया. सोनू ने रात भर ललित को ढाढ़स बँधाया. हम सभी बैठ कर पीठ कमर सहलाने लगे.

फतेहपूर पहुँचते ही हमने ३ बजे सुबह रेलवे एमरजेँसी १३८ फोन से सँपर्क किया. रेलवे ने कहा कि कानपूर मेँ डाक्टर आ जायेँगे. हमने कहा कि तबीयत बिगड़ रही है. इलाहाबाद रुकना पडे़गा. रेलवे ने कहा कि ४ बज रहा है, ५.४५ मेँ आप कानपूर पहुँच जायेंगे और इलाहाबाद स्टोपेज नहीँ है. ललित को हमने बताया तो ललित ने कहा जल्दी दर्द बढ़ रहा है. इलाहाबाद से हमलोग काफी नजदीक याने ४५ मिनट का समय लगता कानपूर पहुँचने मेँ. ५ बजे ललित ने कहा कि रतन पानी दो. हम सभी ललित का हाथ पकड़े बैठे थे. सहला रहे थे. मेरी नजरेँ बाहर कानपूर की जगजगी बत्तियाँ ढूँढ़ रही थी और घड़ी पर नजर कि कब ५.४५ बजे. पर ललित सह नहीँ पाया और ५.२५ मेँ अचानक बात करते चुप हो गया.

हमलोगों ने सोचा ललित बेहोश हो गया. सीट पर उसे लिटा दिया.ललित ललित कहने लगे. मैँ डर गया..बस कानपूर पहुँच गये. दो डाक्टर पहलै से खडे़ थै. अँदर बोगी मेँ आये. जाँच किया मुझे बाहर लाया और कहा.. थोड़ी देर पहले वो नहीँ रहा. बस १५ मिनट पहले स्टैशन तक रुक जाता तो ललित हम सबों के साथ रहता.. हाथ पकड़े थामे चल दिया ललित. कुछ बोला भी नहीँ..मेरे सामने बैठे बात करते हाथ थामे चल दिया. दु:खद..अत्यँत ही दु:खद.