23 को स्थिति पूरी स्पष्ट होगी, जो एक बार और स्पष्ट हुआ है, वह यह कि देश की प्रतिगामी ताकतों की पहली पसंद मोदी ही हैं. कट्टर हिंदुत्ववाद और सवर्ण अहंकारवाद पर सवार हो मोदी संभवतः एकबार फिर इस देश की सत्ता पर काबिज हो रहे हैं. जिन मूढ़ताओं पर पूरी दुनियां चुनाव के दौरान हंसती रही है, उन मूढ़ताओं पर फिदा है देश का मध्यम व बुद्धिजीवी वर्ग - डाक्टर, इंजीनीयर, प्रोफेसर, पढ़े लिखे बेरोजगार युवा. और उनका साथ दिया है प्रचंड पिछड़ावाद से आक्रांत ओबीसी ने. क्योंकि ओबीसी अगड़ावाद से ज्यादा आक्रांत रहता है प्रचंड पिछड़ा वाद से.

दूसरी बात यह कि कांग्रेस को अगड़ों ने एकबार फिर पूरी तरह नकार दिया. कांग्रेस की मजबूरी यह कि सांप्रदायिकता के आधार पर जिस तरह देश की राजनीति का ध्रुवीकरण हुआ है, उसमें मोदी को हराने के लिए और ज्यादा सांप्रदायिक और अगड़ा समर्थक होना पड़ेगा. मध्यम मार्ग अपनाने से काम नहीं चलेगा. हम भी हिंदू हैं और चुनाव प्रचार पर निकलने के पहले मंदिर-मस्जिद और गुरुद्वारे में मत्था टेकते हैं, काफी नहीं. या तो कट्टर हिंदुत्वादी हो जाईये या सच्ची धर्म निरपेक्षता का वाहक बनिये.

और तीसरी बात यह कि मोदी विरोधी मतों के विभाजन को रोकने के लिए जितनी मुकम्म्ल रणनीति की जरूरत थी, वह नेताओं के निजी स्वार्थ और अहंकार की वजह से संभव नहीं हुआ. जहां भी दरार थी, वहां से भाजपा भीतर घुस गई. ओड़िसा और पश्चिम- बंगाल कमजोर कड़ी साबित हुई. दिल्ली से तो कोई उम्मीद ही नहीं बची थी. ओड़िसा कांग्रेस का रहा है. फिर बीजू जनता दल का. बीजू जनता दल भाजपा के साथ रह चुकी है. कांग्रेस के साथ उसका तालमेल नहीं हुआ और तिकोने संघर्ष में भाजपा ने बढ़त हासिल कर ली.

उसी तरह पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच से भाजपा निकल गई. पता कर लीजिये, वामदलों के नेता मोदी के पश्चिम बंगाल में प्रवेश से उतने दुखी नहीं जितने तृणमूल की ताकत घटने से खुश. अब पूरा खुलासा तो 23 को होगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में भाजपा ने जितना गंवाया, उसकी भरपाई पश्चिम बंगाल और ओड़िसा कर देगी.

इसलिए मोदी तो लगता है आ रहे हैं, लेकिन संभावना अभी भी यही दिख रही है कि झारखंड अपना विरोध दर्ज करेगा और पिछले पांच सालों में हुए अपने अन्याय का बदला लेगा. और इसका श्रेय बहुत कुछ जायेगा, झारखंडी जनता को, जन आंदोलनों और सामाजिक संगठनों के सतत विरोध प्रदर्शनों को.