पेसा कानून सही ढंग से लागू हो तो लोकतंत्र की बुनियाद को पूरे देश में मजबूत किया जा सकता है। यह तिहत्तरवां संविधान संशोधन का विस्तार अधिनियम है, जो देश के पांचवीं अनुसूचित राज्यों में लागू है। 1996 के दिसंबर में बना यह कानून देश के लोकतंत्र की बुनियादी ईकाई ग्रामसभा के मेरुदंड पर खड़ा है। ग्रामसभा जितनी मजबूत होगी देश में लोकतंत्र उतना ही सशक्त होगा।

इतना ही नहीं पेसा कानून आदिवासी परंपरागत शासन प्रणाली को मान्यता देता है। आदिवासी समाज का लोकतंत्र सामुदायिक जीवन पद्धति पर आधारित है। यह महज एक शासन प्रणाली नहीं है, बल्कि जीवन पद्धति है। आदिवासियों परिवार ,समाज और व्यक्तिगत जीवन में लोकतंत्र आज भी देखा / परखा जा सकता है। इनमें इकोलॉजिकल डेमोक्रेसी की न सिर्फ समझ है, बल्कि अपने जीवन में भी वे सब इसे बरतते हैं। प्रकृति से जरूरत भर लेने और फिर उसे सम्मान पूर्वक वापस कर देने की कला और संस्कृति पर उनके सामुदायिक जीवन का पहिया आगे बढ़ता है, जिसमें सर्वानुमति और सर्वसम्मति को विशेष तरजीह दिया जाता जाता है। इसलिए आदिवासी समाज में लोकतंत्र एक जीवन पद्धति है, महज शासन करने की प्रणाली नहीं।

आज के बुद्धिजीवी और नीति निर्माताओं की समझ और चेतना यहां तक पहुंच जाए तो अपने देश के लोकतंत्र को काफी सशक्त किया जा सकता है।