ये घटना 21 मार्च को गुना जिला (मध्य प्रदेश) में हुई। ये वही थानाक्षेत्र और इलाका है जो पिछले जुलाई, 2020 में बदनाम हुआ था, जब इधर की पुलिस बर्बरता एक दलित पति-पत्नी को मारते हुए एक विडियो में दिखी और विडियो वाइरल हुआ था। आप जानते होंगे कि पारधी एक विमुक्त जनजाति हैं (जो गुना जिला में अनुसूचित जाति की श्रेणी में आते हैं), और पूरे देश में, चोरी-डकैती के शक में उनको जबरन हिरासत में लेने और बड़ी रकम की वसूली करके की खबरें सुनने में आती हैं, साथ ही उनको उन गुनाहों के लिए जेल में भर दिया जाता है जो शायद उन्होंने किए ही नहीं होते।

इस मामले में, पुलिस ने ये स्वीकारा कि 20 मार्च की पूरी रात को उन्होंने अलग अलग पारधी-बस्तियों में छापे मारे, वे रात के 12 बजे से सुबह के 5 बजे तक लोगों को उठाते रहे लेकिन, उनका कहना है कि उन्होंने 60 वर्षीय शेरू पारधी को नहीं उठाया। पुलिस के अनुसार शेरू अपने थाने में बंद परिजनों से मिलने आया था, और तब उसकी तबियत खराब हो गयी जिसके चलते उसको अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी मौत हो गयी।

जबकि परिजनों के हिसाब से शेरू को उनके सामने ही उठाया गया था, पीटा गया था, और जब पुलिस को समझ आया की उसको गंभीर चोटें पहुँची, तो उसको अस्पताल में पटक दिया गया। चूँकि औपचारिक तरह से गिरफ्तारी दिखाना या वारंट बनाना जैसे नियम इस समुदाय के लोगों को पकड़ने में कभी नहीं अपनाए जाते, इस बात का कोई पुलिसिया रिकॉर्ड नहीं है कि किसी को गैर-कानूनी ढंग से हिरासत में रखा है।

पुलिस हिरासत में आदिवासियों के साथ हुई बर्बरता और टॉर्चर से हत्या का तीसरा मामला है जिसकी जांच मानवाधिकार के लिए समर्पित डीएनटी समूह के लोगों द्वारा पिछले कुछ महीनों में की गई है। बैतुल में सपेरा समुदाय के शंकर नाग की मौत नवंबर २०२० में इस तरह ही हुई, और सोईना, एक पारधी महिला, की मौत कोटा (राजस्थान) में दिसम्बर २०२० में हुई। ये दोनो केस अभी परिजनों के कम्प्लेंट के आधार पर पुलिस जाँच में है

हाल ही में मंदसौर पुलिस नारकोटिक्स सेल की हिरासत में सोहेल खान की मौत, जांच दल ने प्रकाशित की. अखबारों व अन्य सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर, मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल के विभिन्न मानवाधिकार संगठनों ने तीन सदस्यीय स्वतंत्र जांच दल का गठन किया जिसमें नेशनल कंफेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन्स के प्रदेश महासचिव वासिद खान, मध्यप्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच से विजय कुमार और सोशल एक्टिविस्ट यूसुफ खान शामिल थे।

स्वतन्त्र जांच दल के सदस्य 5 अप्रैल को मंदसौर आकर मृतक सोहेल खान के पीड़ित परिवार से मिले। चाचा इराद खान, भाई मुराद खान, जीजा आसिफ खान सहित अन्य दोस्तों और पड़ोसियों से जाँच दल के सदस्यों ने मुलाकात की। परिवार के सदस्यों ने जाँच दल को बताया की पोस्टमार्टम के दौरान सोहेल के गुप्तांगों सहित पूरे शरीर पर गंभीर चोटों के निशान पाये गये है। नारकोटिक्स थाने में उसे बेरहमी से पीटा गया था। इसी के चलते हार्ट अटैक से सोहेल की मौत हुई है।

मामले को समझने के उद्देश्य से जाँच दल स्थानीय पत्रकारों व वरिष्ठ समाजसेवियों से भी मिला। इसके अलावा जांच दल ने मन्दसौर नारकोटिक्स पुलिस अधीक्षक तिवारी जी से भी मुलाकात करने का प्रयास किया लेकिन अन्ततः उनसे फोन पर ही बात संभव हो पायी। घटना के बारे में पूछने पर अधीक्षक महोदय ने बताया कि पूरे मामले की न्यायिक जाँच चल रही है इसलिए फिलहाल वे कुछ कह नहीं सकते है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

लगभग सभी पक्षों की बात सुनने के बाद जाँचदल ने प्राथमिक अवलोकन के आधार पर शोहेल खान की पुलिस हिरासत में हुई मौत को सुनियोजित हत्या किया जाना पाया और निम्नलिखित अनुशंसा की -

  1. पूरे मामले में गंभीर रूप से मानवाधिकारों का हनन हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का घोर उलंघन हुआ है। अतः निश्चित समय सीमा के भीतर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में घटना की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच हो।

  2. दोषी पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों को अविलंब बर्खास्त कर उन पर हत्या का मुकदमा चलाया जाये।

  3. पारिवारिक स्थिति को देखते हुए पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए।’

  4. परिवार के सदस्य एवं चश्मदीद गवाह भयभीत हैं. उन्हें जान का खतरा है. इसलिए उन्हें न्यायिक सुरक्षा मुहैया करायी जाए।

हाल की कुछ अन्य घटनाएं

4 अप्रैल 2021 थाना हनुमानगंज क्षेत्र, भोपाल से न्यूज 18 एमपी, संवादाता जितेन्द्र ने बताया कि भोपाल शहर में नाईट कर्फ्यू के दौरान जब दूकान बंद करवाने पुलिस की टीम निकली थी, उसी समय रात 11 बजे चाय की दूकान बंद करवाने की कोशिश कर रही थी. तभी उनकी दुकानदारों के साथ झड़प हो गयी जिसमें दुकानदार के परिवार की महिलाओं, बच्चों ने वीडियो में अपनी चोट के निशान दिखाते हुए, रोते हुए दिखाई दे रहे हैं. हालाँकि इसी वीडियो में यह भी समझ में आता है कि इस झड़प में पुलिस को भी चोट आई हैं, परन्तु पुलिस और आम जन के बीच हिंसा का व्यवहार, महिलाओं और बच्चों के साथ हिंसा

यह सवाल भी खड़े करता ही कि भविष्य में बच्चे पुलिस सुरक्षा पर कितना विश्वास कर पाएँगे. आम आदमी अपनी सुरक्षा को लेकर पुलिस पर कितना भरोसा करेगा, क्यों आम आदमी पुलिस पर हिंसा के लिए आमदा हो गया है?

दिनांक 6, अप्रैल को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में कोविड नियम पालन करवाने हेतु, इंदौर पुलिस के 2 कर्मचारियों द्वारा, 35 वर्षीय ऑटो रिक्शा चालक कृष्णा कीर के साथ बहुत बेरहमी से मार पीट की गई. यह दृश्य तो बहुत वायरल हो चुका है.