मेरी पाठशाला की यह लड़की जब फटी जींस में दिखी तो मैंने पूछा, कैसे फटी या तुमने दूसरों के नकल में फाड़ ली. वह बोली- नहीं दादू, यह घिस गया है. बहुत पुराना है सो बैठते समय घुटनों के पास फट गया. वह यह नहीं जानती कि घोर विपन्नता की वजह से उसकी फटी जींस अब एक ट्रेंड बन चुकी है जिससे पहन कर अमीरजादियां अब इतराती हैं और तरत- तरह के विवादों को जन्म देती हैं. उत्तर कोरिया के किम जोंग उन ने विदेशी फिल्मों और फटी जींस के खिलाफ एक अभियान ही छेड़ दिया है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री इस फटी जींस को संस्कार से जोड़ चुके हैं. कुछ महिलाएं इसे अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आजादी का परचम मान कर पहनती हैं.

दरअसल, सिर्फ गरीबी ही नहीं, गरीब जैसा लुटा पिटा दिखना, गरीबों को भोजन खाना, गरीबी पर कविताएं और कहानियां लिखना एक नया ट्रेंड बन कर उभरा है. कठोर श्रम से दिखते रिब्स जैसा बाॅडी बनाने के लिए तरत-तरह के जिमखाने खुल गये हैं. फुटपाथ पर बिकने वाली गपचुप को हमने फुटपाथ से उठ कर बड़े होटलों में समाते देखा. गांव की चैपाल और खाट, हुक्के को सजा कर बड़े होटलों में मक्के की रोटी और साग खाते देखी. यह सब खाये पीये अघाये मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों की नयी सनक है. हद तो यह कि ट्रेंड के रूप में यह सनक अब निम्न वर्ग के लड़के लड़कियों में भी प्रचलित है. खोज कर फटी जींस खरीदना या नये जींस को ही जहां तहां से काट फाड़ देना, नई स्कूटी की मड गार्ड को पीछे से काट कर पूंछकटी छिपकिली जैसा बना देना एक नया फैशन है.

लेकिन इस नयी सनक में यह बात दबी जाती है कि अपने देश की गरीबी बढ़ती जा रही. विषमता की खाई चैड़ी होती जा रही है. बच्चे गरीबी की वजह से फटे कपउ़े पहनने को बाध्य हैं. प्रकृति के प्रांगण में उगे तरह तरह के साग पात में से खाने लायक साग पात खा कर बहुसंख्यक आबादी अपनी क्षुधा बुझाती है और पोषण पाती है. यह एक बड़ी सच्चाई है कि अपने देश में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुकी है. कुपोषित लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है.

हमे यह समझना चाहिए कि फटी जींस पहनने से बहिरंग बदलता है, उन्हें गरीब या गरीबी से जरा भी हमदर्दी नहीं. वे एक तरह से गरीबी का मजाक उड़ाते हैं. दूसरी तरफ एक फैशन के रूप में फटी जींस पहनने वाले निम्न वर्गीय युवाओं को पता नहीं कि यह फटी जींस कितनी महंगी मिलती है बाजारों में और अपने परिश्रम की गाढ़ी कमायी से खरीदी जींस को काट-फाड़ कर कभी उनका मुकाबला नहीं कर सकते और न उन जैसा बन सकते हैं. अमीरजादों की फटी जींस से उनकी अमीरी झांकती है और गरीबों की फटी जींस से गरीबी.