कोरोना महामारी के कारण राज्य में 17 मार्च 2020, यानी लगभग डेढ़ साल से, राज्य के सभी विद्यालय बंद पड़े हैं. वैसे, स्थिति थोड़ी सुधरने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से विधार्थियो के लिए ऑनलाइन क्लासेज संचालित किये गये, लेकिन इसका लाभ सभी सामान्य बच्चे नहीं उठा पाये. ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्ट फोन की जरूरत पड़ती है जो कि अमीर बच्चे तो आराम से खरीद लेंगे, पर वह गरीब बच्चे स्मार्ट फोन कहाँ से लाते जिनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं. जिनका घर रोजना की कमाई से चलता है. वो हजारांे रूपये का स्मार्ट फोन लेने की बस सोच सकते हैं ले नही सकते.

और इस कारण बच्चों की पढ़ाई में काफी नुकसान हुआ. वे बच्चे जो ऑनलाइन क्लास से नही जुड़ पाए, वे अब पढ़ना-लिखना भूलते जा रहे हैं. गरीबी के कारण बहुत सारे छात्र डेढ़ साल से ऑनलाइन क्लास नही कर पा रहे हंै. कहाँ जाय तो एक गरीब विद्यार्थी के लिए चारो तरफ से पढ़ाई का ताला लगा हुआ है, जिसे वो खोलना तो चाहता है पर ऐसी गरीबी है कि खोल भी नही सकते. परिणाम यह आज बहुत से बच्चे धीरे-धीरे पढ़ना-लिखना एकदम भूलते जा रहे हंै. जो बच्चा 7 वीं, 8वीं कक्षा में पढ़ता था, अब वह कुछ पढ़ने लिखने नहीं जानता. उसे फिर से जीरो लेबल से पढ़ना शुरू करना पड़ रहा है.

दूसरी तरफ यह भी सुनने में आया कि कुछ दिन पहले बच्चों को स्कूल बुलाया गया. वहां सभी बच्चों से पूछताछ की गयी. जो ऑनलाइन क्लास नही करते हैं, उन्हें सबके सामने बुला कर डांटा-फटकारा गया. पर कोई बच्चा यह नहीं बोल पाया कि मेरे पास फोन नही हंै जिस कारण हम क्लास नही कर पाए. सभी ने चुप-चाप डांट सुन ली. यह समस्या किसी एक बच्चे का नहीं, उन सभी गरीब बच्चों का है, जो ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्ट फोन जुटा नही पाए. यह उसकी मजबूरी है. और इसके लिए उन्हें प्रताड़ित करना कितना उचित कहा जायेगा? बच्चों के कोमल मन पर इसका कितना बुरा असर पड़ रहा है, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती.

डेढ़ वर्ष से पढ़ाई बंद. स्कूल, कॉलेज, ट्यूशन एवं सभी तरह के काम काज बंद. रोजगार छिन गया. दैनिक मजदूरी नहीं मिलती. पर स्कूलों का फीस बंद नहीं हुआ. गरीब बच्चों के लिए क्लास तो करना तो नामुमकिन है, पर उनसे निजी विद्यालय फीस पूरे डेढ़ साल का वसूल कर रहे हैं. इसके कारण बहुत सारे बच्चों की पढ़ाई ही उनके माता- पिता ने छुड़वा दी. घर ही किसी तरफ चलता है, दो वक्त का खाना ही जुटाना मुश्किल हो रहा है, स्कूल के लिए फीस कहां से जुटायें? इससे लड़कियां ज्यादा प्रभावित हो रही हैं.

डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद सुनने में आया है कि हमारी सरकार एवं शिक्षा विभाग स्कूलों में स्मार्ट फोन वितरित करने वाली है. पता नहीं यह योजना कब पूरी होगी, लेकिन इन डेढ़ वर्षों में जो नुकसान हो गया, उसकी भरपायी अब नहीं होने वाली.