कहा और माना जाता है कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चुनाव क्रमशः सांसद (लोकसभा) और विधायक करते हैं। यह भी कि मंत्रियों का चयन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। क्या सचमुच ऐसा है?

अभी अभी गुजरात सहित भाजपा शासित कुछ राज्यों में मुख्यमंत्री को हटाने और नये को बनाने का निर्णय क्या संबद्ध राज्यों के भाजपा विधायकों ने किया? गुजरात की पिछली सरकार के किसी मंत्री को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया। क्या यह फैसला मुख्यमंत्री ने अपने कथित विशेषाधिकार के तहत किया? इसका जवाब एक केंद्रीय मंत्री की इस गर्वोक्ति में निहित है कि यह ‘अभिनव’ प्रयोग है, इसे अन्य राज्यों में भी किया जायेगा!

निश्चय ही यह भाजपा में मोदी-शाह की चुनौती विहीन स्थिति का नतीजा है। जैसा चाहे प्रयोग कीजिये, पर कम से कम यह कहने का ढकोसला तो बंद कीजिये कि ये फैसले विधायकों की बैठकों में होते हैं।

वैसे इसके लिए अकेले भाजपा को कोसना बेमानी है। कांग्रेस यह सब हमेशा से करती रही है। अन्य दलों में आंतरिक लोकतंत्र की यही स्थिति है। जितना मजबूत नेता, दल में लोकतंत्र उतना ही कमजोर। नेता से असहमति जताना, यानी दल के खिलाफ बोलना! आज भाजपा में भी किसी में साहस नहीं कि मोदी-शाह के विरोध में मुंह खोल सके।

इस और अनेक मामलों में भाजपा सचमुच कांग्रेस की ‘सच्ची’ उत्तराधिकारी हैं!