कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश के चुनाव में महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने का ऐलान कर दिया. प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ने की इच्छुक महिलाओं को आगे बढ़ कर आवेदन देने का आह्वान किया. उनके अनुसार महिलाओं में भी राजनीति तथा शासन को मजबूत करने की क्षमता है. इसलिए उन्हें उचित भागिदारी का अवसर मिलना चाहिए.

लोकसभा तथा विधान सभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने की मांग करीे हुई महिलाएं 25 वर्षों से आंदोलन कर रही हैं. लोकसभा में महिला आरक्षण बिल किसी न किसी कारण से अटकता रहा है और कभी कानून नहीं बन सका. यदि हर राजनीतिक दल महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट दे, तो शायद महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिल पाता, लेकिन महिलाएं चुनाव में जीत पायेंगी कि नहीं, यह संदेह हर पार्टी को हमेशा से रहा है. राजनीतिक तिकड़मबाजी और बाहुबल में पुरुष केवल अपने को ही माहिर समझते हैं. हालांकि जयललिता और ममता बनर्जी ने इस मिथ को तोड़ा है और राजनीति में पुरुष वर्चस्व को मजबूती से चुनौती दी है.

गौर करने वाली बात यह है कि आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था. उस समय कांग्रेस पार्टी ही इसका नेतृत्व कर रही थी और इस पार्टी में महिलाओं की बड़ी संख्या थी. आजादी के बाद साठ वर्ष केंद्र में कांग्रेस का ही शासन रहा. इंदिरा गांधी इस पार्टी की अध्यक्षा रहीं और देश की प्रधानमंत्री भी. अब सोनिया गांधी इसकी अध्यक्षा हैं. आजादी के बाद 17 बार लोक सभा चुनाव हुए. सात बार कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और तीन बार कांग्रेस के नेतृत्व में मिली जुली सरकार बनी. फिर भी कांग्रेस पार्टी ने कभी भी महिला आरक्षण बिल पास कराने की कोशिश नहीं की. चुनाव में भी अधिक महिलाओं को टिकट नहीं मिला. उत्तर प्रदेश में भी 55 वर्ष तक कांग्रेस का शासन रहा, लेकिन कभी भी महिलाओं को आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं हुआ. बसपा प्रमुख मायावती भी दो बार यूपी की मुख्यमंत्री बनी, लेकिन यूपी विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ा. इससे यही साबित होता है कि दल या शासन के उच्च पदों पर रहते हुए भी महिलाएं अपने प्रतिनिधित्व को नहीं बढ़ा पायी.

अब कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने का ऐलान किया भी तो हम इसे कांग्रेस की महिलाओं के प्रति प्रतिबद्धता नहीं कह सकते. ऐसा भी नहीं कि कांग्रेस को अचानक महिलाओं की योग्यता का एहसास हो गया हो. विपक्षी पार्टियां एकजुट हो कर बीजेपी को हरा नहीं सकती हैं. हर पार्टी की अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं. वे स्थानीय समस्याओं को मुद्दा बना कर चुनाव नहीं जीत सकते हैं, क्योंकि भारतीय चुनाव जातिगत हैं. विभिन्न जातियों के लोगों को विभिन्न तरह के प्रलोभन देकर उनसे वोट लेना ही प्रत्येक पार्टी की रणनीति बन गयी है.

ऐसे में कांग्रेस का महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने का ऐलान महज राजनीतिक स्टंट ही कहा जा सकता है. अब यदि इसका लाभ महिलाओं को मिलता है और भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागिदारी बढ़ती है तो यह स्वागत योग्य ही होगा.