देश दुनिया में रोज नई- नई घटनाएं हो रही है. महीनों से चला आ रहा रूस- यूक्रेन के बीच युद्ध, महाराष्ट्र में सत्ता पलट, राष्ट्रपति चुनाव, मांडर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत, बढ़ती हुई महंगाई, पेट्रोल की कीमत में लगातार बृद्धि, गैस की कीमत में उछाल, लेकिन मैं जिस वातावरण में, जिस समाज के बीच रहती हूं, उनमें न तो इन मुद्दों पर कोई बात चीत होती है और न कोई चिंता. सभी इन बातों से बेखबर नजर आते हैं, जैसे इन बातों से उनके जीवन का कोई वास्ता नहीं.

एक वजह तो यह कि लोग अब एक दूसरे से कम मिलने लगे हैं. मिलते भी हैं तो बस इधर-उधर की बातें होती हैं. उन्हें यह पता ही नहीं होता कि हमारे देश, दुनिया में क्या घटनाएं हो रही है. वैसे, अब हर घर में टीवी हो गया है. मोबाईल भी है. लोग, खास करके युवा पीढ़ी के लोगों की उन खबरों पर नजर भी पड़ ही जाती है, लेकिन वे उन खबरों-समाचारों से खुद का रिश्ता नहीं जोड़ पाते. उन्हें लगता ही नहीं कि उन घटनाओं, खबरों से उनके जीवन का कोई वास्ता है. उनके लिए वे खबरें भी मनोरंजन की कोई वस्तु ही नजर आती है. वे सरसरी निगाहों से अखबार के पन्नों पर नजर दौड़ाते हैं और फिर अपनी दुनियां में मस्त हो जाते हैं.

कॉलेज कैंपस के अंदर जाओ तो वहां भी देश दुनियां की इन खबरों की कोई चर्चा नहीं होती न आपसी बातचीत का ही यह विषय बनता है. वैसे भी कालेज में पाठ्यक्रम की पुस्तकों की पढ़ाई होती है. रोजमर्रा की इन घटनाओं को भी विद्यार्थी जरूरत के वक्त सामान्य ज्ञान की पुस्तकों में पढ़ कर परीक्षा की तैयारी कर लेते हैं. यह बात तो उनकी समझ से परे है कि उनके जीवन से उन खबरों का कोई रिश्ता भी है. फुर्सत के समय भी दोस्तों से इधर-उधर की बातें ही ज्यादा होती है. सर, मैम लोग भी कोई जानकारी नहीं देते. वे लोग क्लास आते पढ़ाते हैं और चले जाते हैं.

एक बड़ी वजह यह है कि लोगों को लगता है कि इन सब बातों से उनके जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. उन्हें अपनी गरीबी में कष्टों के बीच ही जीवन बसर करना है. इसलिए हमारी बस्ती को अभी इस बात की जरा भी चिंता नहीं कि राष्ट्रपति कौन बन रहा है. उनमें थोड़ा बहुत उत्साह है तो जगन्नाथ मेला को लेकर, जो उनके कष्टपूर्ण जीवन में उमंग के कुछ पल ले कर आती है.