किसानों की खुदकुशी का कोई आंकड़ा नहीं!

बेरोजगार कितने, कोई आंकड़ा नहीं!

आरटीआई कानून में बदलाव, कोई जानकारी लेना लगभग असंभव! (पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) शैलेश गांधी के मुताबिक आरटीआई कानून में ऐसा बदलाव सीआईसी द्वारा श्री मोदी की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी संबंधी सवाल का जवाब देने का नोटिस जारी करने के कारण हुआ हो सकता है.)

मॉब लिंचिंग का कोई आंकड़ा नहीं!

नोटबंदी के प्रभाव का कोई आंकड़ा नहीं!

सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछने पर भी तय समय तक जवाब देने के बजाय सरकार ने और वक्त मांग लिया. संविधान पीठ में सुनवाई में ऐसा शायद पहली बार हुआ!

भारत के मुख्य सांख्यिकी अधिकारी (टीसीआई) श्री अनंत का कार्यकाल वर्ष 2018 में समाप्त हो गया. उसके बाद इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गयी है. सरकार को कोई जल्दबाजी नहीं है!

तो डाटा कहां से मिलेगा?

एफसीआरए में ऐसा बदलाव हो गया कि अब राजनीतिक दलों के लिए विदेश से मिलनेवाले चंदे की जानकारी सार्वजनिक करना जरूरी नहीं है. ऐसा सबसे अधिक चंदा भाजपा और कांग्रेस को मिलता. पर कोई आंकड़ा नहीं. न मिल सकता है!

राजनीतिक दलों को इलेक्टोरल बौंड से मिले धन की जानकारी भी नहीं मिल सकती.

‘आधार’ डाटा के कथित दुरुपयोग संबंधी कोई आंकड़ा नहीं.

इसे ‘…मैजिक’ भी कह सकते हैं.

(इसमें दी गयी अनेक जानकरियां सोशल मीडिया चैनलों पर मिली हैं. इसमें कोई त्रुटि हो तो जरूर बताया जाये)