जेपी रेल और खान मजदूरों का सवाल लेकर दिल्ली गये थे। दिल्ली में दंगा चल रहा था। जेपी ने जो हालत देखी, जो तस्वीर देखी, उससे वह बहुत चिंतित हुए, परेशान हुए। सिर्फ दुखी नहीं हुए, देश के अंधकारमय भविष्य की कल्पना कर स्तब्ध रह गये। हालांकि दूसरी तरफ देश में असंतोष था, बेकली थी, देश के नौजवान जेपी की ओर ध्यान लगाए बैठे थे।