अनोखा दृश्य! सब एक जगह इकट्ठा हुए। बड़ा हॉल, जिसमें कोई मंच नहीं, पूरा हॉल एक मंच बना। यानी साझा मंच। सबने बोलना स्वीकार किया, क्योंकि सबने सबको सुनना मंजूर किया। यानी सब वक्ता बने, सब श्रोता बने और दर्शक भी। उनके बीच विचारणीय विषय था- लोकतांत्रिक समाजवाद बनाम समाजवादी लोकतंत्र।