चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह (2017-18) के तहत 26 फरवरी, रविवार को लौरिया (पश्चिम चंपारण) में हजारों की संख्या में जुटे पर्चाधारी व भूमिहीन किसानों ने 11 सूत्री प्रस्ताव पारित कर अपने भूमि अधिकारों के लिए न्याय मिलने तक सत्याग्रह चलाने का ऐलान किया. सभा में जिले भर से लगभग चार हजार उत्साह से भरे लोगों की हिस्सेदारी थी, जिनमें आधे से अधिक महिलाएं थीं. अध्यक्षता फूलकली देवी ने की और संचालन सोहन राम ने किया. सभा को भूमि आंदोलन से जुड़े स्थानीय साथियों के अलावा दिल्ली से आयी मणिमाला, रांची की कनक, पटना से आये रूपेश कुमार, आरती वर्मा एवं अख्तरी बेगम ने भी संबोधित किया. चंपारण के प्रकाश श्रीवास्तव और शैलेन्द्र सिन्हा भी प्रमुख वक्ताओं में शामिल थे. पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री जदयू नेता वैद्यनाथ प्रसाद महतो ने पारित प्रस्तावों से सहमति जताते हुए भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार इन मांगों पर यथाशीघ्र उचित कार्रवाई करेगी; वे खुद इसके लिए प्रयास करेंगे. उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार ने सीलिंग एक्ट की 1961 की उपधारा 45 बी को विलोपित (समाप्त) कर दिया है. नतीजतन इस जिले में छह हजार एकड़ भूमि भूमिहीनों के बीच वितरण के लिए उपलब्ध है. इस छह हजार एकड़ में से 5200 एकड़ भूमि हरिनगर चीनी मिल के कब्जे में है. सभा में मांग की गयी कि इसमें से 1200 एकड़ भूमि पर चंपारण सत्याग्रह के सूत्रधार राजकुमार शुक्ल के नाम पर कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की जाये. शेष 4000 हजार एकड़ भूमि में से 3000 एकड़ भूमि पर 30 हजार निर्धन परिवारों को 10-10 डिसमिल जमीन पर बसा कर प चंपारण को वासभूमि-हीनता से मुक्त किया जाये. शेष 1000 एकड़ भूमि का उपयोग सड़क, नाली, सामुदायिक भवन- शौचालय, स्कूल, खेल के मैदान, हुनर सिखाने के केन्द्रों के निर्माण में हो. ये व्यवस्थित गांव किसान आंदोलन के नेताओं शेख गुलाब, शीतल राय, पीर मुहम्मद मुतीश, रामानंद और रोगी महतो के नाम पर बसाये जायें. कुछ अन्य प्रमुख मांग ये हैं- इस सत्याग्रह शताब्दी वर्ष में विभिन्न राजस्व अदालतों में लंबित सीलिंग वादों का यथाशीघ्र निबटारा कर भूमिहीनों और आंदोलनकारियों के साथ न्याय हो. -तीन माह के अंदर मुकदमों से मुक्त तीन प्रकार के पर्चे की भूमि पर दखल दहानी करायी जाये. -पटना उच्च न्यायलय में लंबित भू-हदबंदी के 270 मुकदमों के शीघ्र निष्पादन के लिए मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के बीच विमर्श हो; और इनमें इसी वर्ष न्याय सुनिश्चित कराने के लिए विशेष पीठों का गठन और लगातार सुनवाई की व्यवस्था हो. एक अन्य प्रमुख मांग यह है कि बेतिया नगर के जिस हजारीमल धर्मशाला में गांधीजी 2017 में ठहरे थे और जहाँ निलहों के जुल्म के शिकार किसानों के बयान दर्ज किये गये थे, उस खँडहर में तब्दील हो चुके धर्मशाला स्थल का पुनरुद्धार कर वहां चंपारण सत्याग्रह की स्मृति में कीर्ति स्तंभ का निर्माण किया जाये. इसके अलावा चंपारण के 53 बुनियादी विद्यालयों को हुनर और सद्भाव-संस्कार व व्यवहार के केंद्र के रूप में विकसित किया जाये. वक्ताओं का मानना था कि सरकार से न्याय की अपेक्षा के बावजूद अब तक के अनुभवों के आधार पर हमें यह मान कर चलना चहिये कि बिना संघर्ष के जमीन नहीं मिल सकती. अतः सभा के अंत में एलान किया गया कि यदि सरकार तीन महीने के अंदर फाजिल घोषित छह हजार एकड़ जमीन पर दखल देहानी का कार्य संपन्न कराने में विफल रहती है, तो आगामी दस जून को हरिनगर चीनी मिल के बहुअरवा फ़ार्म और गाँवदरा (रामनगर) फार्म पर सत्याग्रह किया जायेगा.