सामाजिक सरोकार रखने वाले लोग भी बहुधा इस दुविधा में फंस जाते हैं कि वे किसी काम को कैसे सरंजाम दें या फिर वे जो भी करते हैं, वह सही है या गलत, इसे कैसे सुनिश्चित करें. गांधी की उक्तियां ऐसे दुविधापूर्ण स्थिति में एक मशाल की तरह काम आती हैं. मसलन, वे कहते हैं कि आप जो भी काम करें, उसे करने के पहले यह विचार जरूर करें कि आपके उस काम से समाज का अंतिम व्यक्ति किस तरह प्रभावित होता है. यदि आपके काम से उसका जीवन आसान होता है, तो आपके काम की दिशा सही है, वरना गलत.

बहुत सारे लोग मानते हैं कि मंजिल तक पहुंचना ही अभिष्ट है. आप अपनी मंजिल तक कैसे पहुंचते हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं. इसको व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष के संदर्भ में हम इस रूप में हम देखते हैं कि इसके लिए हम लड़ाई का जो भी तरीका इख्तियार करते हैं, वह सही है. जबकि गांधी हमेशा साध्य के साथ साथ साधन की पवित्रता पर भी विश्वास करने की सलाह देते हैं. यानी, ‘युद्ध और प्रेम में सबकुछ जायज है’, जैसे प्रचलित धारणाओं को वे गलत मानते हैं.

इसी तरह की ढ़ेरों छोटी-छोटी गांधी की उक्तियां दुविधापूर्ण मनःस्थिति से उबरने में हमारे बहुत काम आ सकती है. उनमें से कुछ हम यहां रख रहे हैं.

  • हमें खुशी तभी मिलेगी जब हमारे सोचने, बोलने और काम करने में समरूपता होगी.
  • सेवा तभी सार्थक होगी जब वह प्रेम से अभिसिंचित हो.
  • खुद को पाने का सबसे आसान तरीका यह है कि हम देसरे की सेवा में खुद को समर्पित कर दें.
  • कुछ भी करें, प्यार से करें, वरना नहीं करें.
  • भविष्य इस बात पर निर्भर करता है जो हम वर्तमान में करते हैं.
  • आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी.
  • आजादी का कोई अर्थ नहीं, यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हो.
  • व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है.

सभी को गांधी जयंती की शुभकामनाएं.