आपने किसी बगुले को नदी के जल में घ्यान लगाये एक पैर पर खड़े देखा है. उसका सारा ध्यान मछली पर लगा रहता है. ठीक उसी तरह राम भक्ति में लीन, चंदन टीका लगाये, यहा वहां नदियों में डुबकी लगाते, मंदिरों और पंडे पुजारियों को सीस नवाते महापुरुष का सारा घ्यान चुनावी राजनीति पर है, शीघ्र ही होने वाले संसदीय चुनाव पर है. और वोट की इस राजनीति में वह सब खुल्लम खुल्ला कर रहे हैं जो एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की छवि रखने वाले देश में कल तक कल्पनातीत था.

भक्ति की इस राजनीति को दूसरा सिरा यह कि जब कि भक्ति के इस दौर में भी उनका विपक्ष के नेताओं और सरकारों के प्रति द्वेष भाव जारी है. देश का प्रधान मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री आदि भले भक्ति की नदी में गोते लगाते प्रतीत हो रहे हों, ईडी और अन्य सरकारी एजंसियां जांच व समन भेजने, छापे मारने में व्यस्त हैं. 20 तारीख को केंद्रीय सुरक्षा बलों की पूरी टीम अपनी निजी सेना की तरह लेकर ईडी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर जमीन घुटाले के कथित मामले की जांच के क्रम में पूछताछ के लिए पहुंच गये. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को लगातार समन भेजने का काम जारी है.

झारखंड में करारी हार होने के बाद से भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्रीय सरकार हेमंत सरकार को अपदस्थ करने की कोशिशों में लगी है. कभी लाभ के पद के दुरुपयोग के मामले की जांच होती है, कभी आय से अधिक की संपत्ति की जांच होती है, तो कभी जमीन घोटाले की. यदि इन आरोपों में कोई दम है तो फिर गिरफ्तारी क्यों नहीं होती? दिन रात कहते रहते हैं कि कानून से उपर कोई नहीं, तो कार्रवाई क्यों नहीं? इसलिए हेमंत ने छह-सात घंटे के पूछताछ के बाद ऐलानिया कहा - ‘हम डरने वाले नहीं.’

भक्ति की राजनीति की आड़ में क्या हो रहा है तो जरा गौर से अपने आस-पास देखिये. तमाम जगह रामनामी झंडे लगे हैं. लेकिन सबसे अधिक उन नये मोहल्लों और कालोनियों में जो हाल के दिनों में आदिवासी जमीन को अवैध तरीकों से हड़प कर खड़े हुए हैं. जिन लोगों ने ट्राईबल लैंड को अवैध तरीके से खरीद कर अपने घर बनाये हैं, उन घरों में बढ़ चढ़ कर रामनामी झंडे लगाये गये हैं.

राम की भक्ति से किसे को भी ऐतराज नहीं, लेकिन राम की भक्ति की राजनीति शर्मनाक है. राम का पुनर्वास तो आज हो जायेगा, आदिवासियों की एक तिहाई आबादी का पुनर्वास कब होगा जो कल कारखानों, नदी घाटी योजनाओं, पार्कों और सेंचुरियों के लिए अपने अधिवास से उजाड़ दिये गये? इसका जवाब देश के प्रभु वर्ग को देना चाहिए.