सबसे पहले विश्व सुंदरी चुनी गयी भारत (हरियाणा) की मानुषी छिल्लर को मुबारकबाद. हालांकि हम (संघर्ष वाहिनी धारा के) लोग सौंदर्य प्रतियोगिता को पसंद नहीं करते. मानते हैं कि किसी महिला/युवती (पुरुष की भी) की ‘सुंदरता’ उसकी चमड़ी के रंग, ऊंचाई, बदन के अंगों की नाप-जोख आदि से नहीं मापी जा सकती. सुंदरता किसी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर निर्भर करती है. इसमें उसकी बौद्धिकता, दृष्टि, उसके विचार और व्यवहार आदि भी शामिल होते हैं. इसलिए बाजार के प्रभाव में और उसकी जरूरत के लिए दुनिया भर में जो सौंदर्य प्रतियोगितएं हो रही हैं, उसे हम मूलतः स्त्री विरोधी मानते हैं. फिर भी जो युवतियां इनमें हिस्सा लेती हैं, उनको बेहया-बेशर्म और कहने का कोई अर्थ नहीं है. खास कर इस बाजारवादी और उपभोक्ताक्तावादी समाज व दौर में, जिसमें हम सब, चाहे-अनचाहे और कम या ज्यादा शामिल हैं, उसका हिस्सा हैं.